दिल्ली में सरकारी कक्षाओं के निर्माण में 1300 करोड़ रुपये का घोटाला, सतर्कता निदेशालय ने दावा करते हुए जांच की सिफारिश की
By अनिल शर्मा | Published: November 25, 2022 11:03 AM2022-11-25T11:03:04+5:302022-11-25T11:25:27+5:30
सीवीसी ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताओं को प्रकाश में लाया था। सीवीसी ने फरवरी 2020 में सतर्कता निदेशालय को मामले पर अपनी टिप्पणी मांगने के लिए रिपोर्ट भेजी थी लेकिन...
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय (डीओवी) ने दिल्ली में 193 सरकारी स्कूल के 2,405 कक्षाओं के निर्माण में अरविंद केजरीवाल सरकार पर गंभीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए "एक विशेष एजेंसी द्वारा विस्तृत जांच" की सिफारिश की है।
डीओवी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने इस मामले में मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सतर्कता विभाग ने "शिक्षा विभाग और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारियों को तय करने" की भी सिफारिश की है, जो लगभग 1300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल थे। निदेशालय ने जनता के जवाबों के साथ अपने निष्कर्षों को अग्रेषित करने की भी सिफारिश की है। निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और शिक्षा विभाग ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को विचारार्थ भेजा है।
सीवीसी ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा दिल्ली सरकार के विभिन्न स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में अनियमितताओं को प्रकाश में लाया था। सीवीसी ने फरवरी 2020 में सतर्कता निदेशालय को मामले पर अपनी टिप्पणी मांगने के लिए रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने ढाई साल तक मामले को आगे नहीं बढ़ाया, जब तक कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश नहीं दिया। अगस्त में सचिव को मामले में हुई देरी की जांच करने और इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "निविदा प्रक्रिया के साथ छेड़छाड़ करने के लिए कई प्रक्रियात्मक खामियों और नियमों और मैनुअल के उल्लंघन के अलावा, डीओवी ने अपनी रिपोर्ट में, विशेष रूप से निजी व्यक्तियों की भूमिका को रेखांकित किया है। जैसे 'मैसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स', जो बिना एक सलाहकार के रूप में नियुक्त, न केवल 21 जून, 2016 को तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री के कक्ष में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया बल्कि विनिर्देशों के नाम पर कार्य अनुबंधों में किए गए निविदा के बाद के परिवर्तनों के लिए मंत्री को भी प्रभावित किया। इससे 205.45 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।''
सीवीसी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि लागत 326.25 करोड़ रुपये तक बढ़ गई, जो निविदा की आवंटित राशि से 53% अधिक है। यही नही 194 स्कूलों में, 37 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के साथ 160 शौचालयों की आवश्यकता के बरक्स 1214 शौचालयों का निर्माण किया गया था। 141 स्कूलों में केवल 4027 कक्षाओं का निर्माण किया गया। इन परियोजनाओं के लिए 989.26 करोड़ रुपये राशी स्वीकृत थी। और सभी निविदाओं का पुरस्कार मूल्य 860.63 करोड़ रुपये था, लेकिन वास्तविक व्यय 1315.57 करोड़ रुपये तक चला गया। कोई नई निविदा नहीं बुलाई गई लेकिन अतिरिक्त काम किया गया। कई काम अधूरे रह गए। जीएफआर, सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल और सीवीसी दिशानिर्देश का घोर उल्लंघन हुआ है।