Delhi riots case: उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब, सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते में मांगा जवाब
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 18, 2023 02:04 PM2023-05-18T14:04:36+5:302023-05-18T14:08:58+5:30
पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-आरोपियों के लगातार संपर्क में था और उसके ऊपर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही नजर आते हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आतंकवाद निरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोपी के कृत्य प्रथम दृष्टया ‘आतंकवादी कृत्य’ के रूप में माने जाने के योग्य हैं।
नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों की कथित साजिश रचने से जुड़े एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से गुरुवार को जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया और उससे छह सप्ताह में जवाब देने को कहा। खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कुछ तारीखों का जिक्र किया और कहा कि घटना वाले दिन वह वहां नहीं था।
पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है। साथ ही उसने मामले को अवकाश कालीन पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने की भी छूट दी। सिब्बल ने कहा कि मामले को अवकाश के बाद सूचीबद्ध किया जाए। इस पर पीठ ने मामले की अगली सुनवाई उच्चतम न्यायालय के ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद के लिए सूचीबद्ध की। उच्चतम न्यायालय में ग्रीष्मकालीन अवकाश 22 मई से शुरू हो रहा है जो दो जुलाई को समाप्त होगा।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-आरोपियों के लगातार संपर्क में था और उसके ऊपर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही नजर आते हैं। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आतंकवाद निरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोपी के कृत्य प्रथम दृष्टया ‘आतंकवादी कृत्य’ के रूप में माने जाने के योग्य हैं।
उमर खालिद और शरजील इमाम सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों का कथित ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे। ये दंगे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे। इनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से अधिक घायल हुए थे।