दिल्ली: नीट परीक्षाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों ने पुलिस पर बर्बर कार्रवाई का आरोप लगाया, हजारों की संख्या में थाने का घेराव किया
By विशाल कुमार | Published: December 28, 2021 07:41 AM2021-12-28T07:41:10+5:302021-12-28T07:43:59+5:30
पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने कहा कि उसके 4,000 सदस्यों ने सरोजिनी नगर पुलिस स्टेशन में सोमवार आधी रात को कोरोना वायरस नाइट कर्फ्यू का पालन करने के लिए धरना समाप्त कर दिया।
नई दिल्ली:दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के समूहों ने नीट-पीजी परीक्षा के बाद कॉलेज आवंटन में देरी के खिलाफ उनके विरोध पर क्रूर पुलिसिया कार्रवाई का आरोप लगाते हुए सोमवार को चिकित्सा सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी।
पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने कहा कि उसके 4,000 सदस्यों ने सरोजिनी नगर पुलिस स्टेशन में सोमवार आधी रात को कोरोना वायरस नाइट कर्फ्यू का पालन करने के लिए धरना समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें दिन में पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यालयों की ओर मार्च करने से रोक दिया गया था।
Thousands of doctors being detained at Sarojini Nagar Police Station!@rashtrapatibhvn@VPSecretariat@FordaIndia@IMAIndiaOrg@delhimediasso@ArvindKejriwal@SatyendarJain@INCIndia@AshishOnGround@AshishOnGround@IndiaToday@TheQuint@thewire_in@ndtv@ndtvindia@abplivenewspic.twitter.com/wPM4NDfbkX
— RDA_UCMS & GTBH (@RdaUcms) December 27, 2021
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फेमा) ने बुधवार से स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने के लिए इससे जुड़े सभी आरडीए के साथ-साथ देशभर के अन्य डॉक्टरों के संघों का आह्वान किया है।
एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन फोर्डा के समर्थन में सामने आया है, यह कहते हुए कि 24 घंटे के भीतर सरकार से पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर वह बुधवार को सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को बंद कर देगा।
चिकित्सा बिरादरी के लिए काला दिन कहते हुए, कई महिला डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि दिन में उनके मार्च के दौरान उनके साथ हाथापाई की गई, जिसके कारण पुलिस के साथ उनका आमना-सामना हुआ।
रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर पुलिस और डॉक्टरों के बीच हुई झड़प में दोनों पक्षों का दावा है कि उनकी ओर के कई लोग घायल हुए हैं।
इससे पहले रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए सोमवार को सांकेतिक रूप से "अपने लैब कोट लौटा दिए" और सड़कों पर मार्च निकाला। डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहने से केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष ने दावा किया कि बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को विरोध स्वरूप प्रतीकात्मक तौर पर अपना एप्रन (लैब कोट) वापस कर दिया।
उन्होंने कहा, "हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) परिसर से उच्चतम न्यायालय तक मार्च करने की भी कोशिश की, लेकिन जैसे ही इसे हमने शुरू किया, सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे बढ़ने से रोक दिया।"
मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि कई डॉक्टरों को पुलिस ने "हिरासत में" लिया और उन्हें थाने ले जाया गया। कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया जिससे कुछ डॉक्टर घायल हो गए।
एसोसिएशन ने अपने ट्विटर हैंडल में पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई की तस्वीरें पोस्ट कीं। हालांकि, पुलिस ने लाठीचार्ज करने या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि छह से आठ घंटे तक प्रदर्शनकारियों ने आईटीओ रोड को जाम कर दिया। उनसे बार-बार अनुरोध किया गया कि वे वहां से हट जाएं, लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया। फोर्डा की ओर से जारी बयान के अनुसार, मेडिकल पेशे के लोगों के इतिहास में यह काला दिन है।
उसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘रेजिडेंट डॉक्टर, तथा-कथित कोरोना योद्धा, नीट पीजी काउंसलिंग 2021 की प्रक्रिया तेज करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बुरी तरह पीटा गया, और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘आज से सभी मेडिकल सुविधाएं पूरी तरह बंद रहेंगी।’’
बाद में जारी आधिकारिक बयान में मध्य दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रोहित मीना ने सोमवार को कहा कि ‘बिना अनुमति के रेजिडेंट डॉक्टरों के एक समूह ने बीएसजेड मार्ग (आईटीओ से दिल्ली गेट तक का मुख्य रास्ता) को अवरूद्ध कर दिया और वहां छह घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जाम लगा रहा।’’
बयान में उन्होंने दावा किया, ‘‘उन्होंने मुख्य सड़क पर जानबूझकर हंगामा किया और दोनों लेन जाम कर दिए जिससे आम जनता को परेशानी हुई।’’
बयान के अनुसार, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने उनसे बात की और उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें समझाने के बावजूद वे आक्रामक हो गए और सड़क को अवरूद्ध कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़प में सात पुलिस कर्मी घायल हुए हैं और पुलिस बस के शीशे टूट गए हैं। पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।