दिल्ली हाईकोर्ट ने दी इजाजत, निजामुद्दीन मरकज में रमजान के दौरान 50 लोग एक दिन में 5 वक्त नमाज पढ़ सकेंगे

By भाषा | Published: April 15, 2021 08:05 PM2021-04-15T20:05:28+5:302021-04-15T20:07:23+5:30

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अधिसूचना में प्रार्थना स्थलों को बंद करने का कोई निर्देश नहीं है।

Delhi High Court permission 50 people able offer Namaz during 5 days Ramadan in Nizamuddin Markaz | दिल्ली हाईकोर्ट ने दी इजाजत, निजामुद्दीन मरकज में रमजान के दौरान 50 लोग एक दिन में 5 वक्त नमाज पढ़ सकेंगे

मंजिलों के इस्तेमाल की भी इजाजत दी जाए, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

Highlights मानक संचालन नियमों के “सख्त अनुपालन” में होना चाहिए।व्यापक रूप से लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित न करे।एसएचओ को मस्जिद की पहली मंजिल पर दिन में पांच बार नमाज के लिये 50 लोगों को इजाजत देने का निर्देश दिया जाता है।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज में दिन में पांच बार 50 लोगों को नमाज अदा करने की इजाजत देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अधिसूचना में प्रार्थना स्थलों को बंद करने का कोई निर्देश नहीं है।

अदालत ने यह भी कहा कि इस बात को लेकर भी केंद्र सरकार का “कोई स्पष्ट रुख” नहीं था कि अन्य प्रार्थना स्थलों पर धार्मिक समागमों या भीड़ को जुटने की इजाजत है या नहीं। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने निर्देश दिया कि मस्जिद के “बेसमेंट के ऊपर पहली मंजिल” पर नमाज अदा की जाए और यह साफ किया कि यह डीडीएमए की 10 अप्रैल की अधिसूचना और अन्य मानक संचालन नियमों के “सख्त अनुपालन” में होना चाहिए।

अदालत ने कहा, “इस तथ्य पर विचार करते हुए कि डीडीएमए की अधिसूचना में धार्मिक स्थलों/प्रार्थना घरों को बंद नहीं किया गया है, यह अदालत पाती है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता (दिल्ली वक्फ बोर्ड) ने मस्जिद बंगले वाली में नमाजियों को इजाजत देने का सही अनुरोध किया है।” निजामुद्दीन पुलिस थाने के थानाध्यक्ष (एचएचओ) को निर्देश दिया के वो दिन में पांच बार 50 लोगों को मस्जिद बंगले वाली की पहली मंजिल पर नमाज के लिये प्रवेश की इजाजत दें।

अदालत ने कहा, “इस तथ्य पर विचार करते हुए कि रमजान के महीने में श्रद्धालुओं को दिन में पांच बार नमाज अदा करना होता है और उसी के साथ दिल्ली में बेहद तेजी से फैल रहे कोविड-19 पर ध्यान दिया जाना भी जरूरी है कि वह और न बढ़े और व्यापक रूप से लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित न करे।

एसएचओ को मस्जिद की पहली मंजिल पर दिन में पांच बार नमाज के लिये 50 लोगों को इजाजत देने का निर्देश दिया जाता है।” दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने मांग की थी कि संख्या बढ़ाई जाए और मस्जिद की अन्य मंजिलों के इस्तेमाल की भी इजाजत दी जाए, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा, “दिल्ली की गंभीर स्थिति को देखते हुए कृपया नींद से जागिए।” वरिष्ठ वकील के बार बार यह अनुरोध करने पर कि अन्य मंजिलों पर सामाजिक दूरी का पालन किया जा सकता है अदालत ने बोर्ड को इस आशय का अनुरोध थाना प्रभारी के समक्ष करने की इजाजत दे दी। अदालत ने यह भी कहा कि उसका आदेश राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा जारी अधिसूचना से प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही अदालत ने निजामुद्दीन मरकज को खोले जाने संबंधी बोर्ड की याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 15 जुलाई तय की।

कोविड-19 महामारी के बीच मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम के आयोजन के बाद से ही यह पिछले साल 31 मार्च से बंद है। इससे पहले दिन में लाजपत नगर उप मंडल के सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि उच्च न्यायालय “अपनी बुद्धि और विवेक से” उन व्यक्तियों को निजामुद्दीन मरकज की मस्जिद के भूतल में नमाज पढ़ने की इजाजत दे सकता है जिन्हें वह उपयुक्त पाता हो। केंद्र ने कहा कि ऐसा करने के दौरान हालांकि कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन आवश्यक है।

उच्च न्यायालय ने यह जानना चाहा था कि क्या सभी प्रार्थनास्थल बंद है, इस बात का स्पष्ट उल्लेख किये बिना रिपोर्ट में कहा गया है कि डीडीएमए की अधिसूचना के तरह कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सभी तरह के जमावड़े पर रोक है और यह सभी धर्मों पर लागू है। रिपोर्ट देखने के बाद न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट में इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में सभी धार्मिक स्थलों को बंद किया गया है, या नहीं।

अदालत ने कहा, “आपने रिपोर्ट में यह नहीं बताया है कि अन्य धार्मिक स्थल बंद हैं, या खुले हुए हैं। हमें पता चला है कि (दिल्ली में) अधिकतर धार्मिक स्थल खुले हुए हैं।” न्यायमूर्ति गुप्ता ने यह भी कहा कि 13 अप्रैल को दिये गए उनके निर्देश में बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अदालत जानना चाहती है कि क्या डीडीएमए की अधिसूचना के अनुसार सभी धार्मिक स्थल बंद हैं। 

Web Title: Delhi High Court permission 50 people able offer Namaz during 5 days Ramadan in Nizamuddin Markaz

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