पूर्व जस्टिस ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कॉलेजियम सिस्टम पर उठाए सवाल, कहा-'ऐतिहासिक गड़बड़ी' होने से रोकिए
By स्वाति सिंह | Published: January 16, 2019 11:30 AM2019-01-16T11:30:17+5:302019-01-16T11:30:17+5:30
कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति माहेश्वरी और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर तरक्की दिए जाने की कॉलेजियम की 10 जनवरी की सिफारिश के बाद यह पत्र लिखा गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शीर्ष न्यायालय में भेजे जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है।
यह पत्र सोमवार को लिखा गया है, जो दो पन्नों का है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि न्यायमूर्ति खन्ना दिवंगत न्यायामूर्ति एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था जिसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था। दरअसल, उन्होंने इस विचार का समर्थन नहीं किया था कुछ खास परिस्थितियों में मूल अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि जिस तरह से न्यायमूर्ति एच आर खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ‘काला दिन’ बताया जाता है उसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना एक और काला दिन होगा। उनमें से कई न्यायाधीश हो सकता है उनसे कम मेधावी और सत्यनिष्ठा वाले नहीं हों।
Retired judge of Delhi High Court Justice Kailash Gambhir has written to President Ram Nath Kovind, objecting to the decision of collegium which recommended elevation of Justice Sanjiv Khanna and Justice Dinesh Maheshwari to the Supreme Court pic.twitter.com/zblIFuy2rZ
— ANI (@ANI) January 16, 2019
कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति माहेश्वरी और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर तरक्की दिए जाने की कॉलेजियम की 10 जनवरी की सिफारिश के बाद यह पत्र लिखा गया है।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश गंभीर ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता को संरक्षित रखा जाए तथा ‘‘एक और ऐतिहासिक भूल नहीं की जाए।’’
उन्होंने कहा कि जब 11 जनवरी को उन्होंने टीवी चैनलों पर कॉलेजियम की सिफारिश के बारे में खबर देखी तो शुरुआत में उन्हें इस पर यकीन नहीं हुआ। पर उन्होंने कानूनी समाचार देने वाली वेबसाइटों पर इस बारे में विस्तृत कवरेज देखी। साथ ही उन्होंने उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर डाले गए कॉलेजियम के फैसले को भी देखा।
पत्र में कहा गया है कि यह भयावह है कि 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करने का हिलाकर रख देने वाला एक फैसला ले लिया गया। नजरअंदाज किए गए उन न्यायाधीशों में कई मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं और यह फैसला उनके ज्ञान, मेधा और सत्यनिष्ठा पर प्रहार करता है।
न्यायमूर्ति गंभीर ने यह भी लिखा है कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिवंगत न्यायमूर्ति डी आर खन्ना के बेटे हैं और कानूनी जगत के एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं।
न्यायमूर्ति एच आर खन्ना ने एडीएम जबलपुर मामले में असहमति वाला फैसला दिया था।
(भाषा इनपुट के साथ)