कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच सरकार ने ये जरूरी कर दिया है सभी निजी और सरकारी कार्यालयों में जहां वैक्सीन दी जा रही है, वो केवल कर्मचारियों तक सीमित रहे। यहां तक कि कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के टीकाकरण के लिए भी इनका इस्तेमाल नहीं किया जाए।
हालांकि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से इस संबंध में राज्यों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाने के बाद अब कई कंपनियां और औधोगिक संस्थाएं मांग उठा रही हैं कि सरकार को इस विषय पर फिर से समीक्षा करनी चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भेजी गई चिट्ठी में 45 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों के लिए भी सुविधाओं को सीमित करने की बात कही गई है। वहीं, कंपनियों और कॉरपोरेट संस्थाओं का कहना है कि उन्हें इस तरह के मानकों को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, नए दिशानिर्देशों से अस्पतालों के साथ कॉर्पोरेट जगत के टाइ-अप्स पर असर नहीं होगा, लेकिन तमाम कार्यालयों में टीकाकरण की पहल पर असर पड़ेगा। इसका असर उन छोटे शहरों में अधिक होने की उम्मीद है जहां अस्पताल और दूसरी सुविधाओं की गैरमौजूदगी में कंपनियां टीकाकरण की पहल को आगे बढ़ा रही थीं।
एक बड़े औद्योगिक संगठन से जुड़े अधिकारी ने कहा, 'ये सच में भ्रम पैदा करने वाली स्थिति है जबकि सरकार ने हमें अपने कर्मचारियों और उससे जुड़े लोगों के टीकाकरण कराने की बात कही थी।' कंपनियों को ये भी डर है कि अगर परिवार के सदस्यों को टीका नहीं दिया जाता तो कई अन्य कर्मचारी इस टीकाकरण कार्यक्रम से दूरी बना लेंगे।