दिल्ली: छात्रनेता उमर खालिद की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज, तीन बार टालने के बाद आया आदेश

By विशाल कुमार | Published: March 24, 2022 12:44 PM2022-03-24T12:44:10+5:302022-03-24T13:02:57+5:30

सितंबर 2020 में, दिल्ली पुलिस ने खालिद को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की साजिश रचने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।

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दिल्ली: छात्रनेता उमर खालिद की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज, तीन बार टालने के बाद आया आदेश

Highlights21 मार्च, से आज 23 मार्च तक तीन बार खालिद की जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया गया था। अदालत ने 3 मार्च को अभियोजन पक्ष और खालिद के वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

नई दिल्ली: 14 सिंतबर, 2020 से जेल में बंद छात्रनेता और कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका आज 23 मार्च, 2022 को एक बार फिर खारिज हो गई।

फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाले दिल्ली दंगों के संबंध में उन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाया गया है।

21 मार्च, से आज 23 मार्च तक तीन बार खालिद की जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया गया था।  अदालत ने 3 मार्च को अभियोजन पक्ष और खालिद के वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

सितंबर 2020 में, दिल्ली पुलिस ने खालिद को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की साजिश रचने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। 

एफआईआर संख्या 59/2020 के सिलसिले में कई बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें ज्यादातर मुसलमान हैं। उन पर देशद्रोह और हत्या और हत्या के प्रयास सहित भारतीय दंड संहिता की 18 अन्य धाराओं का भी आरोप लगाया गया था।

दस दिन बाद हिरासत में रहने के दौरान भी उन्हें दिल्ली के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में मुस्लिम बहुल इलाके खजूरी खास में और उसके आस-पास हिंसा से संबंधित एक अन्य मामले में फिर से गिरफ्तार किया गया था।

सुनवाई के दौरान खालिद ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ अपना मामला साबित करने के लिए चुनिंदा समाचार चैनलों से प्राप्त फुटेज के अलावा सबूतों की कमी है।

फरवरी 2020 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे।

खालिद के अलावा, कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू छात्रा नताशा नरवाल व देवांगना कालिता, जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर, आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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