न्याय मिलने में विलंब, उच्चतम न्यायालय की चार क्षेत्रीय पीठ का गठन करने की आवश्यकताः उपराष्ट्रपति नायडू
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 28, 2019 05:33 PM2019-09-28T17:33:29+5:302019-09-28T17:33:29+5:30
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए शीर्ष अदालत की चार क्षेत्रीय पीठ बनाने की भी अपील की। विधि आयोग ने उच्चतम न्यायालय को संवैधानिक खंड और अपीलीय अदालत में विभाजित करने की अनुशंसा की थी जिसका समर्थन करते हुए उन्होंने उच्चतम न्यायालय की चार क्षेत्रीय पीठ का गठन करने की आवश्यकता जताई।
न्याय मिलने में काफी विलंब होने पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उच्चतम न्यायालय को विभाजित करने का समर्थन किया ताकि संवैधानिक मामलों और अपीलीय मामलों से निपटा जा सके।
उन्होंने मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए शीर्ष अदालत की चार क्षेत्रीय पीठ बनाने की भी अपील की। विधि आयोग ने उच्चतम न्यायालय को संवैधानिक खंड और अपीलीय अदालत में विभाजित करने की अनुशंसा की थी जिसका समर्थन करते हुए उन्होंने उच्चतम न्यायालय की चार क्षेत्रीय पीठ का गठन करने की आवश्यकता जताई।
नायडू ने कहा कि इस कदम के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत नहीं है। उन्होंने इस बिंदु पर अपना पक्ष रखने के लिए अनुच्छेद 130 का जिक्र किया। इसमें कहा गया है, ‘‘उच्चतम न्यायालय दिल्ली में होगा या ऐसी किसी अन्य जगह पर होगा और भारत के प्रधान न्यायाधीश, राष्ट्रपति की मंजूरी से समय- समय पर नियुक्त किए जाएंगे।’’
उपराष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक नायडू ने कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति की अनुशंसाओं का जिक्र किया जिनमें उच्चतम न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों को परीक्षण के आधार पर बनाने की बात कही गई है।
वह प्रख्यात न्यायविद दिवंगत पी पी राव की लेखनी पर आधारित एक किताब के विमोचन के अवसर पर सभा को संबोधित कर रहे थे। उच्चतम न्यायालय की पूर्ण पीठ ने कई अवसरों पर कहा है कि दिल्ली के बाहर इसकी पीठ की जरूरत नहीं है। विमोचन के अवसर पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रोहिंटन एफ. नरीमन, अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और कई पूर्व न्यायाधीश मौजूद थे।