कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अब 6 दिन कम समय लगेगा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया लिंक रोड का उद्घाटन
By सुमित राय | Published: May 8, 2020 02:46 PM2020-05-08T14:46:54+5:302020-05-08T15:02:43+5:30
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिएकैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन किया, जिससे अब यात्रा करने के लिए पहले के मुकाबले 6 दिन कम लगेंगे।
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन किया। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी मौजूद रहे।
राजनाथ सिंह ने धारचूला (उत्तराखंड) से लिपुलेख (चीन बॉर्डर) तक रोड लिंक का उद्घाटन किया। राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के काफिले को रवाना किया।
सीमा सड़क संगठन के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा, "आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख के लिए सड़क संपर्क का उद्घाटन किया, जो मानसरोवर यात्रा मार्ग है। यह तवाघाट से लिपुलेख तक का 90 किलोमीटर का ट्रैक था, अब इसे सड़क से कवर किया जा सकता है।
Today Defence Minister Rajnath Singh inaugurated road link from Dharchula in Uttarakhand to Lipulekh which is Mansarovar Yatra road. This was a 90 km trek from Tawaghat to Lipulekh now entire route will be covered by road: Border Road Organisation Chief Lt General Harpal Singh pic.twitter.com/2c1v1T78vj
— ANI (@ANI) May 8, 2020
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, "मानसरोवर यात्रा के लिए लिंक रोड का शुभारंभ करते हुए खुशी हो रही है। सीमा सड़क संगठन (BRO) में धारचुला से लिपुलेख (चीन बॉर्डर) रोड कनेक्टीविटी को शामिल कर लिया गया है।"
I congratulate the BRO engineers and personnel whose dedication made this achievement possible. Team BRO has done tremendous work in the recent years and played a significant role in connecting the border areas.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 8, 2020
इस लिंक रोड के उद्घाटन के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले यात्रियों को अब पहले के मुकाबले 6 दिन कम लगेंगे। लिंक रोड की अहमियत सामरिक लिहाज से काफी अहम हैं। इस सड़क का निर्माण भारत और नेपाल के बीच काली नदी के तट के किनारे किनारे किया गया है।