नई दिल्ली, 25 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 सितंबर को जन आरोग्य योजना को लॉन्च किया। इस योजना को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि (25 सिंतबर) यानी आज से शुरू किया जा रहा है। योजना को लॉन्च कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वास्तव में ‘दरिद्र नारायण की सेवा’ के लिए ‘आयुष्मान भारत योजना’ को लेकर उनकी सरकार आई है।
पीएम मोदी ने कहा कि 1300 से अधिक बीमारियों को इस योजना में शामिल किया गया है। सभी को पांच लाख रुपये तक का खर्च भर्ती, इलाज और जांच के लिए दिया जाएगा। जिनके पुण्यतिथि को लेकर इस योजना की शुरुआत की गई, वह भारतीय जनता पार्टी के लिए प्ररेणा पुरुष हैं। पीएम मोदी ने जन आरोग्य योजना की शुरुआत कर के बोला था कि इस योजना की शुरुआत से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना पूरा हुआ है।
बीजेपी के मुताबिक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना था कि समाज की पंक्ति में सबसे पीछे खड़े व्यक्ति को भी चिकित्सा सुविधा का लाभ उतना ही मिलना चाहिए, जितना सबको मिलना चाहिए। आइए पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर जानें उनके बारे में कुछ रोचक बातें...
आठ साल की उम्र में माता-पिता दोनों का हुआ देहांत
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक आरएसएस विचारक और भारतीय जनता पार्टी के अग्रदूत भारतीय जनसंघ पार्टी के सह-संस्थापक थे। वह दिसंबर के 1967 में जनसंघ के अध्यक्ष बने थे। इनका जन्म 25 सितंबर 1916 में हुआ था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा के नगलाचंद्रबन में हुआ था। दीन दयाल उपाध्याय के पिता पेशे से एक ज्योतिषी थे। जब वह सिर्फ तीन साल के थे, तब उनकी माता का देहांत हो गया था। उसके कुछ साल बाद जब वह आठछ साल के हुए तो उनके पिता की मृत्यु हो गई।
राजस्थान से की हाई स्कूल की पढ़ाई
दीनदयाल उपाध्याय बचपन से ही काफी चंचल और तेज विद्यार्थी थे। उन्होंने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई राजस्थान के सीकर से की। यहां वह घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से स्कॉलरशिप पर पढ़ाई किया करते थे। इन्होंने इंटरमीडिएड पिलानी के झुनझुन से की। उसके बाद वह स्नातक के लिए यूपी कानपुर आ गए। यहां उन्होंने सनातन धर्म कॉलेज में एडमिशन करवाया।
संघ के लिए छोड़ी पढ़ाई
1937 में दीनदयाल उपाध्याय ने संघ( RSS) में शामिल हुए। कहा जाता है कि ऐसा उन्होंने अपने दोस्त बलवंत महाशब्दे के कहने पर किया था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दीनदयाल एमए के लिए आगारा आए लेकिन उन्होंने अपनी डिग्री पूरी नहीं की। कहा जाता है कि इस वक्त तक दीनदयाल पर संघ का इतना प्रभाव हो चुका था, कि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगा और उन्होंने पढ़ाई छोड़कर अपना पूरा ध्याना संघ के लिएम काम करने में लगा दिया। 1942 में इन्होंने नागपुर में 30 से 40 की संघ की ट्रेनिंग पूरी की। जिसके बाद उन्होंने फुल टाइम संघ के लिए ही काम किया।
ऐसे बने जन संघ के अध्यक्ष
दीनदयाल उपाध्याय ने संघ के लिए अपनी एक सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। 1950 में जब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था, तब 21 सितंबर 1951 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मिलकर 21 अक्टूबर 1951 को जन संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करवाया। जिसके दिसंबर 1967 में दीनदयाल उपाध्याय को जन संघ अध्यक्ष बनाया गया था।
रहस्यमयी तरीके से हुई मौत
दीनदयाल उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में स्वदेश नाम से एक मैगजीन की भी शुरुआत की थी। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्र धर्म प्रकाशन की भी स्थापना की थी। इन्होंने संघ के लिए भी एक पत्रिका की शुरुआत की थी। लेकिन 1967 में अध्यक्ष बनने के बाद महज एक सालों में उनका 11 फरवरी 1968 में देहांत हो गया था। इनकी मौत अपने आप में एक रहस्य है। 10 फरवरी 1968 की शाम को दीनदयाल उपाध्याय ने यूपी लखनऊ से पटना के लिए सियालदाह एक्सप्रेस में लिया। ट्रेन लगभग 2:10 बजे रात में मुगलसराय जंक्शन पर पहुंची थी लेकिन उस वक्त ट्रेन में दीनदयाल उपध्याय मौजूद नहीं थे।
ऐसा कहा जाता है कि यात्रा के दौरान 11 फरवरी 19 68 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी हत्या कर दी गई थी। मुगलसराय रेलवे स्टेशन के पास उनका शव पाया गया था। जो स्टेशन के प्लेटफार्म से तकरीबन 748 फीट की दूरी पर था। जब उनका शव बरामद किया गया तो उनके हाथ में पॉंच रुपये का नोट था। दीनदयाल उपाध्याय को आखिरी बार मध्यरात्रि के बाद जौनपुर में देखा गया था।
सीबीआई ने दीनदयाल की हत्या की जांच करने के बाद यह दावा किया कि चलती ट्रेन से दीनदयाल उपाध्याय को फेंक दिया गया था। जांच में कहा गया था कि एमपी नामक एक यात्री उसी कोच के आस-पास के केबिन में यात्रा करने वाले सिंह ने एक आदमी (बाद में भरत लाल के रूप में पहचाना) को देखा गया था। मुगलसराय में इस शख्स ने उपाध्याय के केबिन में प्रवेश किया था। बाद में सीबीआई ने मामले में भरत लाल और उनके सहयोगी राम अवध को गिरफ्तार कर लिया था। जिसपर चोरी के लिए हत्या का अपराध लगाया गया था। सीबीआई के अनुसार, दीनदयाल उपाध्याय की बैग चोरी करने के बाद उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। उपाध्याय ने आरोपियों को पुलिस को रिपोर्ट करने की धमकी दी थी। हालांकि, दोनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।