उदयपुर चिंतन शिविर से पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक, सभी को नि:स्वार्थ भाव से काम करना है, सोनिया बोलीं- कर्ज चुकाने का समय आ गया, जानें बड़ी बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 9, 2022 06:35 PM2022-05-09T18:35:12+5:302022-05-09T18:36:35+5:30
कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति में कहा कि पार्टी के तेजी से पुनरुत्थान के लिए प्रतिबद्धता, दृढ़ संकल्प व एकजुटता सुनिश्चित करने के लिए नेताओं का पूरा सहयोग लें।
नई दिल्लीः कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पार्टी नेताओं का आह्वान किया कि अब पार्टी का कर्ज उतारने का समय आ गया है और ऐसे में उन्हें नि:स्वार्थ भाव एवं अनुशासन के साथ काम करना होगा क्योंकि पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए जादू की कोई छड़ी नहीं है।
पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि 13-15 मई को उदयपुर में होने वाला ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ रस्म अदायगी भर नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें पार्टी का पुनर्गठन प्रतिबिंबित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस शिविर में करीब 400 लोग शामिल हो रहे हैं जिनमें से ज्यादातर संगठन में किसी ने किसी पद पर हैं या फिर संगठन अथवा सरकार में पदों पर रह चुके हैं। हमनें प्रयास किया है कि इस शिविर में संतुलित प्रतिनिधित्व हो, हर पहलू से संतुलन हो।’’
On May 15, we'll be adopting Udaipur Nav Sankalp after approval by CWC there. Chintan Shivir should not become a ritual that has to be gone through. I am determined that it should herald a restructured organization to meet ideological, electoral,managerial challenges:Sonia Gandhi pic.twitter.com/KO2dSQ3I6c
— ANI (@ANI) May 9, 2022
सोनिया गांधी ने इस बात का उल्लेख भी किया कि राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि तथा युवा एवं सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों पर छह समूहों में चर्चा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘जादू की कोई छड़ी नहीं है। नि:स्वार्थ काम, अनुशासन और सतत सामूहिक उद्देश्य की भावना से हम दृढ़ता और लचीलेपन का प्रदर्शन कर सकते हैं। पार्टी ने हमेशा हम सबका भला किया है। अब समय आ गया है कि कर्ज को पूरी तरह चुकाया जाए।’’
सोनिया गांधी का यह भी कहना था, ‘‘ हमारे पार्टी के मंचों पर स्व-आलोचना की निश्चित तौर पर जरूरत है। किंतु यह इस तरह से नहीं होनी चाहिए कि आत्मविश्वास और हौसले को तोड़े तथा निराशा का माहौल बनाए।’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘चिंतन शिविर महज एक रस्म अदायगी नहीं होना चाहिए। मैं इसको लेकर प्रतिबद्ध हूं कि इसमें संगठन का पुनर्गठन परिलक्षित होना चाहिए ताकि वैचारिक, चुनावी और प्रबंधकीय चुनौतियों से निपटा जा सके।’’