उत्तराखंड में वनों और वन्यजीवों की आग से रक्षा के लिये दायर याचिका पर न्यायालय अगले सप्ताह करेगा सुनवाई

By भाषा | Updated: January 4, 2021 19:14 IST2021-01-04T19:14:57+5:302021-01-04T19:14:57+5:30

Court will hear next week on the petition filed for the protection of forests and wildlife in Uttarakhand | उत्तराखंड में वनों और वन्यजीवों की आग से रक्षा के लिये दायर याचिका पर न्यायालय अगले सप्ताह करेगा सुनवाई

उत्तराखंड में वनों और वन्यजीवों की आग से रक्षा के लिये दायर याचिका पर न्यायालय अगले सप्ताह करेगा सुनवाई

नयी दिल्ली, चार जनवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के वनों और वन्यजीवों को आग से बचाने के लिये तत्काल कदम उठाने के बारे में दायर याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई की जायेगी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे,न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने शुरू में याचिकाकर्ता और अधिवक्ता ऋतुपर्ण उनियाल से कहा कि वह उच्च न्यायालय जायें। लेकिन उन्होंने पीठ से कहा कि जंगल की आग से संबंधित मुद्दों पर उच्च न्यायालय ने 2016 में कई निर्देश दिये थे और इनके खिलाफ अपील शीर्ष अदालत में लंबित है।

इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘हम अगले सप्ताह इस पर गौर करेंगे।’’

इस याचिका में यह अनुरोध भी किया गया है कि समूची वन प्रजातियों को कानूनी इकाई घोषित करने के साथ ही उनके अधिकारों की रक्षा करना मनुष्यों का कर्तव्य और दायित्व घोषित किया जाये।

पीठ ने शुरू में याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘चूंकि आपने केवल उत्तराखंड के संबंध में ही राहत प्रदान करने का अनुरोध किया है। इसलिए आप उच्च न्यायालय जायें।’’

इस पर उनियाल ने पीठ से कहा कि जंगल की आग से संबंधित मसले में उच्च न्यायालय ने 2016 में कुछ निर्देश दिये थे जिनके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील लंबित है।

याचिका में उनियाल ने वन एवं पर्यावरण और दूसरे प्राधिकारियों को उत्तराखंड में जंगल की आग की रोकथाम के लिये नीति तैयार करने और अग्निकांड से पहले की तैयारियां करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘कानूनी हैसियत की अवधारणा की व्याख्या करने की आवश्यकता है और ताकि इसके दायरे में पर्यावरण के जैविक और अजैविक तत्वों सहित समूची पर्यावरण प्रणाली को लाया जाये। हिन्दू पौराणिक कथाओं में प्रत्येक पशु पक्षी का संबंध ईश्वर से है। पशु पक्षी हमारी तरह से ही सांस लेते हैं और उनमें मनुष्य की तरह से भावनायें, बुद्ध, संस्कृति, भाषा, स्मरणशक्ति और सहयोग का भाव होता है। ’’

याचिका के अनुसार उत्तराखंड के जंगलों में नियमित रूप से आग लगती रहती है और इससे हर साल जंगलों की पर्यावरण व्यवस्था और विविधता भरी वनसंपतियां और जड़ी बूटियां तथा आर्थिक संपदा नष्ट हो जाती है।

याचिका में कहा गया है कि जंगलों में लगातार आग लगने की घटनाओं के इतिहास के बावजूद संबंधित प्राधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया है और इसके प्रति उदासीनता बरती है जिस वजह से उत्तराखंड में हर साल बड़ी संख्या में वन, वन्य जीवों और पक्षियों की हानि होती है जो पारिस्थितिकी असंतुलन पैदा कर रही है।

याचिका में मीडिया की उन खबरों का भी हवाला दिया गया है जिनके अनुसार ये दावानल राज्य की पर्यावरण व्यवस्था को प्रभावित करने के साथ ही जंगलों में मौजूद बेशकीमती स्रोतों को भी नष्ट कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में इन जंगलों के आसपास के निवासियों ने भी दावानल की वजह से सांस लेने में हो रही कठिनाईयों और वातावरण में फैले धुंयें के बारे में भी कई बार शिकायत की है।

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Web Title: Court will hear next week on the petition filed for the protection of forests and wildlife in Uttarakhand

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