अदालत ने मामूली अपराधों में नाबालिगों के खिलाफ जांच बंद करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार को लताड़ लगाई

By भाषा | Updated: October 12, 2021 17:36 IST2021-10-12T17:36:41+5:302021-10-12T17:36:41+5:30

Court slams government for not taking steps to close investigations against minors in minor offences | अदालत ने मामूली अपराधों में नाबालिगों के खिलाफ जांच बंद करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार को लताड़ लगाई

अदालत ने मामूली अपराधों में नाबालिगों के खिलाफ जांच बंद करने के लिए कदम नहीं उठाने पर सरकार को लताड़ लगाई

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष लंबित नाबालिगों से जुड़े मामूली आरोपों वाले सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के उसके आदेश के पालन के लिए कोई कदम नहीं उठाने पर दिल्ली सरकार को मंगलवार को लताड़ लगायी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश ने उस निर्देश का भी पालन नहीं किया है जिसमें उसे अदालत को ऐसे मामलों की संख्या बताने को कहा गया था जिनकी जांच किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष जांच छह माह से लेकर एक वर्ष की अवधि से लंबित हैं। इसके अलावा जांच की तारीख और प्रत्येक मामले में पहली पेशी के बारे में जानकारी देने का भी निर्देश दिया गया था।

जब अदालत को यह बताया गया कि सरकार इंतजार कर रही है क्योंकि नियमों में कुछ संशोधन हो रहे हैं और किशोरों को बोर्ड के समक्ष पेश करने के लिए दस दिन का और वक्त चाहिए, तो इस पर न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा,‘‘ बच्चे इंतजार नहीं कर सकते। किशोर इंतजार नहीं कर सकते। आपको जितना वक्त चाहिए आप ले सकते हैं,लेकिन बच्चों को इंतजार नहीं कराया जा सकता।’’

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत को एक चार्ट दिखाया जिनमें 409किशोरों का अंतर था,इनमें जेजेबी के समक्ष पेश किशोर और रिहा किए गए किशोर शामिल हैं।

इस पर अदालत ने कहा,‘‘ ये 409 किशोर कहां हैं? ये कहां गायब हो गए। ये 409 (नाबालिग) तंत्र में कहीं खो जाएंगे। क्या हो रहा है? इन 409 का क्या हुआ और ये कहा हैं?

पीठ ने आगे कहा कि सरकार का आचरण संतोषजनक नहीं है और अदालत का 29सितंबर का फैसला जिसमें कहा गया कि किसी भी बच्चे के जेजे अधिनियम के तहत किसी मामले में आने पर उसे 24 घंटे के अंदर जेजेबी के समक्ष पेश किया जाना,पूरी तरह से स्पष्ट है और इसमें कहीं कोई अस्पष्टता नहीं है।

पीठ ने सरकार को एक हलफनामा दाखिल करके यह बताने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया कि सरकार ने अदालत के आदेश का पालन करते हुए क्या कदम उठाए हैं।

अदालत ने प्रश्न किया कि कब तक सभी किशोरों को जेजेबी के समक्ष पेश किया जाएगा,इस पर सरकारी वकील ने कहा यह काम दस दिन में कर लिया जाएगा।

इस पर पीठ ने कहा,‘‘ आपको अभी तक ये सब कर लेना चाहिए था। हमें आश्चर्य है कि जेजेबी क्या कर रहे हैं। क्यों उन्हें हमारे आदेश की जानकारी नहीं है? उन्हें हमारे आदेश का पालन करना चाहिए। अब तक जेजेबी को पुलिस को सभी किशोरों को बोर्ड के समक्ष पेश करने के आदेश दे देने चाहिए।’’

मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता एच एस फुल्का ने कहा कि पीठ अदालत के रजिस्ट्रार को जेजेबी को आदेश के अनुपालन संबंधी आदेश भेजने के निर्देश दे सकती है।

गौरतलब है कि दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अदालत को सूचित किया कि इस साल 30 जून तक किशोरों के छोटे-मोटे अपराधों से संबंधित 795 मामले यहां छह जेजेबी के समक्ष छह महीने से लेकर एक वर्ष से तथा 1108 मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।

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Web Title: Court slams government for not taking steps to close investigations against minors in minor offences

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