न्यायालय रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने को तैयार

By भाषा | Published: August 19, 2021 09:41 PM2021-08-19T21:41:53+5:302021-08-19T21:41:53+5:30

Court is ready to consider the petition filed against the custody of Remdesivir in black marketing case | न्यायालय रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने को तैयार

न्यायालय रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में हिरासत के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करने को तैयार

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सवाल किया कि क्या सार्वजनिक व्यवस्था की प्रभावित करने वाली एक घटना ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने के लिए पर्याप्त है। इस सवाल के साथ ही न्यायालय मध्य प्रदेश के इंदौर में कोविड रोधी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में अपने डॉक्टर पति की हिरासत के खिलाफ महिला की याचिका पर विचार के लिए तैयार हो गया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इस याचिका पर विचार करना चाहेंगे। याचिका में उठाए गए विभिन्न आधारों के बीच, हम इस बात पर विचार करेंगे कि क्या सार्वजनिक व्यवस्था की प्रभावित करने वाली एक घटना ही रासुका लगाने के लिए पर्याप्त है।।’’ पीठ आसिफा खान द्वारा दाखिल उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 16 जुलाई के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने रासुका के तहत अपने पति की हिरासत को चुनौती देने वाली उसकी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में विभिन्न आधारों को दर्ज किया, ज्यादातर प्रक्रियात्मक, जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा हिरासत को चुनौती दी जा रही है जैसे कि 19 मई के हिरासत आदेश में बंदी को ‘‘फरार’’ घोषित किया गया था, जबकि वह 13 मई से जेल में है। हिरासत को इस आधार पर भी चुनौती दी गई है कि एनएसए, 1980 के तहत डॉक्टर की हिरासत की सिफारिश करने के लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा संदर्भित दस्तावेजों को हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी को नहीं भेजा गया था।आसिफा की ओर से पेश अधिवक्ता आर एस छाबड़ा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बंदी को गलत तरीके से फरार घोषित करने के परिणाम को नहीं समझने में गलती की क्योंकि इसके कारण वैधानिक अधिकारियों ने यह धारणा बनाई कि बंदी को एनएसए के प्रावधान के तहत दंडित किया जा सकता है। अधिवक्ता पीएस सुधीर के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि बंदी को हिरासत में लेने वाले प्राधिकारी को उसके अधिकार से वंचित किया गया था क्योंकि हिरासत के आदेश को राज्य सरकार ने बंदी पर तामील करने से पहले मंजूरी दे दी थी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अत्यधिक संकट के दिनों में रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन की कालाबाजारी करना निश्चित रूप से एक ऐसा घिनौना कृत्य और तथ्य है जो एनएसए को लागू करने का एक कारण हो सकता है।इंदौर पुलिस ने एक मई को कोविड की दूसरी लहर के दौरान, एक अस्पताल के सामने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया था और विजयनगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। गिरफ्तार लोगों के बयान के आधार पर मामले में डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया। याचिका के मुताबिक, पुलिस ने उसके पास से कोई इंजेक्शन नहीं बरामद किया है, लेकिन उसके कब्जे से 1,200 रुपये जब्त किए हैं।

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Web Title: Court is ready to consider the petition filed against the custody of Remdesivir in black marketing case

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