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केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने फिर दिया विवादित बयान, कहा- 2047 में फिर बंट जाएगा देश

By एस पी सिन्हा | Updated: October 16, 2018 16:21 IST

अगर इसी तरह जारी रहा तो 1947 में जिस तरह भारत के दो टुकडे हो गए थे और पाकिस्‍तान अस्तित्‍व में आया, उसी तरही की परिस्‍थिति का सामना देश को एक बार फिर 2047 में करना पड सकता है।  

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 केंद्रीय लघु उद्योग राज्य मंत्री शांडिल्य गिरिराज सिंह अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं, उसी कडी में आज उन्होंने एक बार फिर विवादित बयान देकर विवादों के घेरे में आ गये हैं इस बार उन्होंने देश के विभाजन की बात कही है।  ट्वीट कर शांडिल्य गिरिराज सिंह ने कहा है कि वर्ष 2047 में एक बार फिर देश का विभाजन होगा। 

शांडिल्य गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर लिखा- "47 में धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ पुनः 2047 तक वैसी परिस्थिति होगी। " देश विरोधी के समर्थन से जेएनयू-एएमयू जैसे लोग विभाजन की बात करेंगे।  

72 साल में जनसंख्या 33 करोड से 136 करोड हो गई।  विभाजनकारी ताकतों का जनसंख्या विस्फोट भयावह है।  देश बचाने को गांव-गांव नगर-नगर से आंदोलन होनी चाहिए।  इससे पहले शांडिल्य गिरिराज सिंह ने यूपी के अमरोहा में कहा कि देश में एक 'खास समुदाय' की जनसंख्‍या बढती जा रही है, जबकि हिन्‍दुओं की आबादी गिर रही है। 

 उन्होंने चेताया कि अगर इसी तरह जारी रहा तो एक बार फिर देश को विभाजन का सामना करना पड सकता है।  उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह जारी रहा तो 1947 में जिस तरह भारत के दो टुकडे हो गए थे और पाकिस्‍तान अस्तित्‍व में आया, उसी तरही की परिस्‍थिति का सामना देश को एक बार फिर 2047 में करना पड सकता है।  साथ ही उन्होंने कहा है कि अभी तो अनुच्छेद 35-ए की बहस पर हंगामा हो रहा है। 

ऐसे में अखंड भारत की बात करना आनेवाले वक्त में असंभव होगा। अनुच्छेद 35-ए जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है।  यह अधिकार जम्मू-कश्मीर के 'स्थाई निवासियों' से जुडे हैं।  राज्य सरकार के पास यह विशेषाधिकार है कि वह आजादी के समय दूसरे स्थानों या भारत के अन्य इलाकों से आये लोगों को राज्य में किसी तरह की सुविधा दे या नहीं। 

 इस अनुच्छेद का जिक्र संविधान में नहीं है। 14 मई, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया।  इस आदेश के जरिये ही भारत के संविधान में अनुच्छेद 35-ए जोडा गया।  अनुच्छेद 35-ए, अनुच्छेद 370 का ही हिस्सा है। 

 इस अनुच्छेद के कारण दूसरे प्रदेश के लोग जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकते हैं और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बन सकते हैं।  उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर का संविधान 1956 में बनाया गया था।  

इस संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक सिर्फ वे ही व्यक्ति हैं, जो 14 मई, 1954 को राज्य के नागरिक रहे हों या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहे हो।  

साथ ही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति हासिल की हो।  अनुच्छेद 35-ए जम्मू-कश्मीर की लड़कियों के भी अधिकार खत्म करता है।  जम्मू-कश्मीर की लडकी यदि किसी दूसरे प्रदेश के लड़के से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं।  साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं। 

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