कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में भरोसा जगाने की कोशिश जारी, विशेषज्ञ बोले- दुष्प्रभावों से घबराना बेमानी
By नितिन अग्रवाल | Published: January 21, 2021 08:00 AM2021-01-21T08:00:27+5:302021-01-21T08:00:27+5:30
कोरोना वायरस की वैक्सीन को लगाने का काम देश में जारी है. इस बीच वैक्सीन को लेकर जारी अविश्वास को खत्म करने की भी कोशिशें लगातार जारी है. विशेषज्ञ बार-बार बता रहे हैं कि वैक्सीन मानवता की भलाई के लिए कितनी जरूरी है.
नई दिल्ली: शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ और जाने माने चिकित्सा शास्त्री देश में बनी कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में भरोसा जगाने में लगे हैं, लेकिन इसे लेकर अविश्वास खत्म नहीं हो रहा. अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मी और कोरोना योद्धा भी इसे लेने से झिझक रहे हैं.
हालांकि विशेषज्ञ आशंकाओं को नकारते हुए इसे समाज ही नहीं बल्कि मानवता की भलाई के जरूरी मान रहे हैं. देश के जाने माने सफदरजंग हॉस्पिटल, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोर ने 'लोकमत' को बताया कि वैक्सीन को लेकर जिन दुष्परिणामों की आशंका जताई जा रही है वह पूरी तरह निराधार है.
फायदे के आगे जोखिम बेहद मामूली
प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि पांच लाख में से महज कुछ सौ लोगों को मामूली परेशानी होना बेहद सामान्य बात है. परेशानियां अस्थाई हैं और इससे घबराना नहीं चाहिए. लाखों लोगों की जिंदगी बचाने के फायदे को देखते हुए यह जोखिम बहुत ही मामूली है.
उन्होंने कहा कि दुर्घटना का खतरा होने के बावजूद भी वाहन चलाना बंद नहीं करते, क्योंकि खतरे की तुलना में फायदा कई गुना अधिक होता है. कोरोना रोकथाम को लेकर बनी स्वास्थ मंत्रालय की एक समिति में शामिल डॉ. किशोर ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के सवाल पर कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है.
आम वैक्सीन लगाने से पहले भी इसी तरह के सवाल किए जाते हैं. लोगों से उनके तापमान, खास दवाओं के प्रति संवेदनशीलता और पिछले कुछ समय में ली गई दवाओं के बारे में जानकारी ली जाती है.
वैक्सीन से खत्म हो गई दूसरी लहर की संभावना
डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि समय पर कोरोना वैक्सीन आने से कोरोना की दूसरी लहर की आशंका भी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि मूल रूप से इसके चार कारण होते हैं.
इनमें वायरस में होने वाले बदलाव (म्यूटेशन), मां से बच्चे में संक्रमण, आबादी का माइग्रेशन और निम्न प्रतिरोधी क्षमता. फिलहाल भारत में इनमें पहली तीन स्थितियां नहीं हैं. न तो वायरस में म्यूटेशन हुआ, न ही माताओं से बच्चे संक्रमित हुए.
शहरों से होने वाले पलायन से वायरस का प्रसार गांवों तक पहले ही हो चुका जिससे इसकी संभावना अब खत्म हो चुकी है. इस दौरान लगभग एक चौथाई आबादी में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो चुकी है. समय से चालू हुए टीकाकरण से प्रतिरोधी क्षमता बहुत तेजी से बढ़ेगी जिससे दूसरी लहर का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
भारत की दोनों वैक्सीन सुरक्षित
इससे पहले नीति आयोग के सदस्य और कोरोना के लिए प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई समिति के अध्यक्ष डॉ. वी. के. पॉल और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि वैक्सीन को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.
डॉ. गुलेरिया के अनुसार अब तक इसके साइड इफेक्ट नजर नहीं आए हैं. भारत में बनी दोनों वैक्सीन सुरक्षित हैं. जिन प्लेटफॉर्म पर ये दो वैक्सीन बनी हैं, ये दोनों काफी ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी बनाती हैं और काफी ज्यादा सुरक्षित हैं. वैक्सीनेशन के बाद कुछ लोगों को एंग्जायटी होना भी सामान्य है.