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Coronavirus: पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी जांच किट विकसित की

By भाषा | Updated: May 11, 2020 05:44 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कि इस जांच किट के जरिए ढाई घंटे की एक पाली में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य पेशेवर बीमारी के मद्देनजर ज्यादा तेजी से अगले जरूरी कदम उठा सकेंगे। मंत्री ने लगातार किए गए ट्वीट में कहा कि पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने शरीर में कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है।

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ठळक मुद्देपुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने कोविड-19 के लिए पहली स्वदेशी एंटीबॉडी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है, जोकि कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने में अहम भूमिका अदा करेगी।केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी।

पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने कोविड-19 के लिए पहली स्वदेशी एंटीबॉडी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है, जोकि कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने में अहम भूमिका अदा करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इस जांच किट के जरिए ढाई घंटे की एक पाली में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य पेशेवर बीमारी के मद्देनजर ज्यादा तेजी से अगले जरूरी कदम उठा सकेंगे। मंत्री ने लगातार किए गए ट्वीट में कहा कि पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने शरीर में कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है।

उन्होंने कहा, '' यह परीक्षण सार्स सीओवी-2 संक्रमण के संपर्क में आने वाली आबादी के अनुपात की निगरानी में अहम भूमिका निभाएगा।'' हर्षवर्धन ने कहा कि मुंबई में दो स्थानों पर इस किट की अनुमति दी गई थी और इसके परिणाम काफी सटीक हैं।

उन्होंने कहा कि इस किट को एक महीने से भी कम समय में तैयार करने में सफलता मिली है। इस जांच किट की मदद से शरीर में सार्स-सीओवी-2 रोधी एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाने में सहायता मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह किफायती और त्वरित नतीजे देने वाली है। साथ ही इसके जरिए अस्पताल और चिकित्सा केंद्रों आदि में बड़ी संख्या में आसानी से नमूनों की जांच करना संभव है।

उन्होंने बताया कि दवा कंपनी जायडस को इसकी तकनीक का हस्तांतरण किया गया है और दवा नियामक ने कंपनी को बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की अनुमति दी है। इस जांच तकनीक के जरिए ऐसे लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, जिनमें पहले कोरोना वायरस संक्रमण हो चुका होगा।

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