अमरनाथ यात्रा 2020ः कोरोना संकट के बावजूद आकर्षण कम नहीं, लोगों ने कहा-उत्साह हिलोरे मार रहा है
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 12, 2020 04:53 PM2020-06-12T16:53:02+5:302020-06-12T16:53:02+5:30
यह बात अलग है कि इस बार अभी भी यात्रा के संपन्न होने पर प्रश्न चिन्ह इसलिए लगा हुआ है क्योंकि श्राइन बोर्ड इसे 15 दिनों के लिए चलाना चाहता है पर लंगर लगाने वालों के संगठन तथा प्रदेश प्रशासन भी इसको रद्द करने के पक्ष में है। फिलहाल प्रशासन की ओर से इसे संपन्न करवाने का कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है।
जम्मूः जबसे कश्मीर में आतंकवाद फैला है अमरनाथ यात्रा आतंकी हमलों और उनके कारण होने वाली मौतों से हमेशा चर्चा में रही है। तब भी इसके प्रति किसी का आकर्षण कम नहीं हआ था तो अबकी बार कोरोना संकट के बावजूद इसमें शामिल होने वालों का उत्साह हिलोरे मार रहा है।
यह बात अलग है कि इस बार अभी भी यात्रा के संपन्न होने पर प्रश्न चिन्ह इसलिए लगा हुआ है क्योंकि श्राइन बोर्ड इसे 15 दिनों के लिए चलाना चाहता है पर लंगर लगाने वालों के संगठन तथा प्रदेश प्रशासन भी इसको रद्द करने के पक्ष में है। फिलहाल प्रशासन की ओर से इसे संपन्न करवाने का कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है। जो चर्चा 15 दिनों तक इसे चलाने की हो रही है वह सिर्फ अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का सुझाव है।
दरअसल इस बार आतंकी खतरे के साथ साथ कोरोना का खतरा सबसे बड़ा महसूस किया जा रहा है। पर इतना जरूर है कि आतंकी हमलों और मौतों से चर्चा में रहने वाली अमरनाथ यात्रा के प्रति आकर्षण आज भी बरकरार है। चाहे प्रशासन कोरोना के कारण इसको संपन्न करवाने में टालमटोल कर रहा है।
अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं
यह बात अलग है कि सुरक्षा एजेंसियां इसकी पुष्टि करती हैं कि उस पार से अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने के निर्देश भी दिए जा रहे हैं। जिन 30 से 40 आतंकियों के इस ओर घुस आने की पुष्टि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भी की जा रही है उनके प्रति गुप्तचर एजंसियां दावा करती हैं कि उन्हें अमरनाथ यात्रा पर हमले का टास्क मिला है।
जानकारी के लिए अनंतनाग जिले में ही अमरनाथ गुफा है और इसी जिले में सबसे अधिक आतंकी हमले पिछले कुछ दिनों के दौरान हुए हैं जबकि कोरोना के मरीजों के मामले में अनंतनाग प्रदेश में सबसे टाप पर है। पर बावजूद इसके यात्रा में शामिल होने की तमन्ना रखने वालों को ये संदेश डरा नहीं पा रहे हैं।
इतना जरूर है कि वर्ष 1993 की अमरनाथ यात्रा उन लोगों को अभी भी याद है जिन्होंने पहली बार इस यात्रा पर लगे प्रतिबंध के बाद ‘हरकतुल अंसार’ के हमलों को सहन किया था। तब तीन श्रद्धालुओं की जानें गईं थी। पहले हमले के 17 सालों बाद हुए भीषण हमले में 9 श्रद्धालु मौत की आगोश में चले गए थे। इन 17 सालों में कोई भी साल ऐसा नहीं बीता था जब आतंकी हमलों और मौतों ने अमरनाथ यात्रा को चर्चा में न लाया हो लेकिन बावजूद इसके यह आज भी आकर्षण का ही केंद्र बनी हुई है। चाहे अब कोरोना का खतरा क्यों न मंडरा रहा हो।