कोरोना वायरस अटैक के कारण आने वाले समय में अनेक तरह की समस्याएं, खासकर लेनदेन को लेकर, आने वाली है.
कोरोना वायरस अटैक का हम आंकलन नहीं कर पाए, उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है, इसके आफ्टर इफेक्ट नहीं पकड़ पाए तो इससे भी बड़ा संकट हमारे सामने होगा.
सरकार, मकान-दुकान मालिकों से निवेदन कर रही है कि तीन महीने किराए के लिए परेशान नहीं करें, पानी-बिजली के बिल स्थगित कर दिए गए हैं, ऐसी और भी कई अस्थाई व्यवस्थाएं की गई हैं, लेकिन आगे क्या?
कोरोना संकट थम जाने के बाद मकान, दुकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद को कौन निपटाएगा? पानी-बिजली के बिल कहां से भरेंगे? बैंकों की ईएमआई, ब्याज कहां से आएगा?
जाहिर है, केवल निवेदन से काम नहीं चलेगा.
इसके लिए कम-से-कम दो साल के लिए नए नियम बनाने होंगे, जैसे....
1, मार्च से किराया आधा करना होगा. देश में इस संकट की घड़ी में, आधा नुकसान मकान मालिक उठाए, आधा नुकसान किराएदार.
2, पानी-बिजली के बिल आधे करने होंगे.
3, जीवन उपयोगी अत्यावश्यक वस्तुओं से जीएसटी समाप्त करना होगा.
4, हर बिजनेस का सर्वे करके उसे फिर से खड़ा करने के लिए न्यूनतम ब्याज दर पर सीसी लिमिट देनी होगी.
5, रियल एस्टेट और मकान के खरीददारों को सपोर्ट के लिए, 100 प्रतिशत होम लोन, न्यूनतम ब्याज पर अधिकतम समय के लिए देना होगा.
6, बुलेट ट्रेन जैसे गैर-जरूरी प्रोजेक्ट पर सरकारी पैसा बर्बाद करने के बजाए खेती-किसानी, सोलर एनर्जी जैसे उपयोगी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना होगा.
7, मुफ्त में सिलेंडर बांटने, खातों में हजार-पांच सौ रुपए डालने जैसी अस्थाई राहत अभी तो ठीक है, लेकिन भविष्य में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, खेती-किसानी के औजारों का वितरण, बेरोजगारों को खेती के प्रशिक्षण के साथ ही घर के आसपास निशुल्क कृषि योग्य जमीन का आवंटन जैसे निर्णय लेने होंगे.
8, हर क्षेत्र के विशेषज्ञों की राय से उस क्षेत्र के लिए नए कानून-कायदे तैयार करने होंगे.
वरना, कोरोना वायरस अटैक से तो कुछ हजार लोगों की जान जाएगी, किन्तु भविष्य में आपसी विवाद हुए तो कई लोगों की झगड़ों के कारण, तो कई की भारी आर्थिक तनाव के कारण जान पर बन आएगी?