कोविड-19ः विदेश में काम कर रहे लाखों भारतीय बेरोजगार, 8310 करोड़ विदेशी मुद्रा का लगेगा झटका
By शीलेष शर्मा | Published: July 6, 2020 04:54 PM2020-07-06T16:54:27+5:302020-07-06T16:54:27+5:30
दुनिया भर में गिरती अर्थव्यवस्था ने जो रोज़गार का संकट खड़ा किया है उससे खड़ी के देशों के साथ-साथ अमेरिका जैसे देश अप्रवासी कामगारों को हटा कर अपने ही देश के लोगों को काम देने के लिये कानून बना रहे हैं।
नई दिल्लीः रोज़ी रोटी कमाने के लिये देश छोड़ कर विदेशों में नौकरी करने गये लाखों भारतीयों के सामने कोरोना के कारण बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
खड़ी के देशों के अलावा दूसरे देशों में लॉकडाउन के कारण बंद हुये उद्द्योगों ने भारतीय कामगारों के लिये रोज़गार के दरवाज़े भी बंद कर दिये हैं जिससे इन अप्रवासी भारतीयों को भारत लौटने को मज़बूर होना पड़ रहा है। दुनिया भर में गिरती अर्थव्यवस्था ने जो रोज़गार का संकट खड़ा किया है उससे खड़ी के देशों के साथ-साथ अमेरिका जैसे देश अप्रवासी कामगारों को हटा कर अपने ही देश के लोगों को काम देने के लिये कानून बना रहे हैं।
अमेरिका में एच 1 बी वीसा पर जहाँ अंकुश लगा कर भारतीय कामगारों के लिये स्वदेश वापसी का दरवाज़ा खोला तो कुवैत भी पीछे नहीं रहा, कुवैत की नेशनल असेंबली की कानून संवंधी समिति ने जिस मसौदे को मंजूरी दी है उसके पारित होते ही वहां काम कर रहे 8 लाख कामगारों को नौकरी छोड़ कर भारत लौटना पड़ेगा।
दुबई ,कतार ,सऊदी अरब ,बेहरीन में भी भारतीय कामगारों को नौकरी से निकाला जा रहा
ओमान ने यह आदेश पहले ही ज़ारी कर दिया है। दुबई ,कतार ,सऊदी अरब ,बेहरीन में भी भारतीय कामगारों को नौकरी से निकाला जा रहा है। ओमान की सरकारी कंपनी पी ओ डी में कार्यरत अधिकारी विनय कुमार बताते हैं कि नई सरकार ने सरकारी और निजी कंपनियों को आदेश ज़ारी कर दिया है कि अप्रवासी कामगारों को हटा कर स्थानीय लोगों को रोज़गार दें जिससे यहाँ लगभग 60 हज़ार भारतीयों को नौकरी छोड़ कर स्वदेश लौटना पड़ेगा क्योंकि इन सभी के वर्क परमिट का अब नवीनी करण नहीं होगा।
इस समय साऊदी अरब में एक लाख 60 हज़ार भारतीय काम कर रहे हैं ,जबकि ओमान में 60 हज़ार ,कतार में 40 हज़ार ,बेहरीन में 20 हज़ार भारतीय कामगार हैं। खाड़ी देशों में सबसे अधिक कामगार केरल से हैं। विश्व बैंक की ताज़ा रिपॉर्ट बताती है कि इन कामगारों द्वारा जो विदेशी मुद्रा भारत भेजी जाती है वह दुनिया के देशों के मुक़ाबले सबसे अधिक है।
2019 की वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत हर वर्ष अपने अप्रवासी कामगारों से 83. 1 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा प्राप्त करता है जबकि चीन 68. 4 बिलियन ,मेक्सिको 38. 5 बिलियन और फिलिपाइन्स 35. 2 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा पाता है। खाड़ी सहित अन्य देशों से भारतीयों की नौकरी छूटने से भारत को विदेशी मुद्रा के मामले में गहरी चोट लग सकती है।