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Coronavirus: सरकार ने अदालत से कहा, विदेश में फंसे भारतीयों को निकाल नहीं सकते लेकिन सुरक्षा के लिए उठा रहे कदम

By भाषा | Updated: April 4, 2020 05:43 IST

केंद्र सरकार के अधिकृत वकील जसमीत सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और भारतीय मिशन (दूतावास एवं उच्चायोग) उनकी मदद करने के लिए उनके विश्वविद्यालयों या शिक्षण संस्थाओं के संपर्क में है। उन्होंने कहा, ‘‘ मौजूदा लॉकडाउन की स्थिति के बीच विदेश मंत्रालय के लिए यह संभव नहीं कि वह बांग्लादेश या किसी अन्य देश से भारतीयों को निकालने की व्यवस्था करें।

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ठळक मुद्देकेंद्र ने न्यायालय को ॉबताया कि कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से विदेश में फंसे भारतीयों को निकाल नहीं सकते लेकिन उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए सक्रियता से कदम उठा रहे हैं।न्यायमूर्ति संजीव सचदेव और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की।

केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को शुक्रवार को बताया कि कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन (बंद) की वजह से विदेश में फंसे भारतीयों को निकाल नहीं सकते लेकिन उनकी सुरक्षा और कल्याण के लिए सक्रियता से कदम उठा रहे हैं। न्यायमूर्ति संजीव सचदेव और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की।

इस दौरान पीठ को केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने एवं प्रबंधन के लिए मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है और समय-समय पर उचित परामर्श जारी किया जा रहा है।

केंद्र सरकार के अधिकृत वकील जसमीत सिंह ने बताया कि बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और भारतीय मिशन (दूतावास एवं उच्चायोग) उनकी मदद करने के लिए उनके विश्वविद्यालयों या शिक्षण संस्थाओं के संपर्क में है। उन्होंने कहा, ‘‘ मौजूदा लॉकडाउन की स्थिति के बीच विदेश मंत्रालय के लिए यह संभव नहीं कि वह बांग्लादेश या किसी अन्य देश से भारतीयों को निकालने की व्यवस्था करें।

हालांकि, सभी भारतीय नागरिकों को हर संभव मदद और सहायता मुहैया कराई जा रही है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘कोविड-19 प्रकोष्ठ वृहद पहुंच और सटीक सूचना सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे भारतीयों के लिए उप समूह बनाया गया है।

दूतावासों और विदेश स्थित मिशन को हेल्पलाइन शुरू करने और इस बारे में व्यापक प्रचार करने की सलाह दी गई है ताकि फंसे हुए भारतीयों की मदद की जा सके।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नोडल अधिकारी की पहचान कर प्रत्येक मिशन में विदेश में फंसे भारतीयों की मदद करने की जिम्मेदारी दी गई है और 24 घंटे हेल्पलाइन नंबर एवं ई-मेल की शुरुआत की गई है और इनका सोशल नेटवर्किंग साइट और सरकारी वेबसाइटों के जरिये प्रचार कर रहा है ताकि भारतीयों को इस संबंध में सूचना मिल सके।’’

केंद्र ने अदालत में दाखिल हलफनामे में कहा कि कोविड-19 की महामारी शुरू होने के साथ ही सरकार ने विदेश में रहे भारतीयों और भारत में लोगों की सुरक्षा, कल्याण और सलामती सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए।’ केंद्र सरकार के हलफनामे और यथा स्थिति रिपोर्ट देखने के बाद पीठ ने कहा कि उसकी राय है कि वकील गौरव कुमार बंसल की याचिका पर और आदेश जारी करने की जरूरत नहीं है।

बसंल ने याचिका में बांग्लादेश में फंसे 500 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को निर्देश देने का अनुरोध किया था। वकील का कहना था कि बांग्लादेश में फंसे अधिकतर छात्र जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए यह छूट दी कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर वह दोबारा अदालत का रुख कर सकते हैं।

अदालत ने एक और याचिका का भी निपटारा कर दिया जिसमें एक व्यक्ति ने बेटे को स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग से निकालने और सभी सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया था। व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी परामर्श के चलते उनका बेटा भारत वापसी नहीं कर सका।

अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन के जरिये विदेश मंत्रालय द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट में आश्वासन दिया गया है कि सभी भारतीय छात्रों की हर संभव मदद की जाएगी ऐसे में इस याचिका पर आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है।

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