लाइव न्यूज़ :

कोरोना ने राज्यसभा के 37 नए सदस्यों की शपथ पर लगाया ग्रहण, लेकिन अधिकारों में नहीं होगी कोई कटौती

By हरीश गुप्ता | Updated: April 3, 2020 07:04 IST

राज्य सभा के लिए चुने गए सदस्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के संबंधित प्रावधानों के तहत सदस्यता का कार्यकाल के प्रारंभ होने पर ही सदन में निर्धारित शपथ के साथ सदन में अपना आसन ग्रहण करने के हकदार हैं.

Open in App
ठळक मुद्देराज्यसभा के हालिया चुनावों में निर्विरोध चुने गए 37 सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह पर कोरोना वायरस (कोविड-19) ने ग्रहण लगाा दिया है. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने लॉकडाउन समाप्त होने तक उच्च सदन के 37 नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया है .

नई दिल्लीः  राज्यसभा के हालिया चुनावों में निर्विरोध चुने गए 37 सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह पर कोरोना वायरस (कोविड-19) ने ग्रहण लगाा दिया है. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने लॉकडाउन समाप्त होने तक उच्च सदन के 37 नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया है . देश के विभिन्न राज्यों से राज्यसभा की रिक्त 55 सीटों में से 37 सीटों पर सदस्य निर्विरोध चुने गए थे जबकि चुनाव आयोग ने विभिन्न राज्यों की शेष 18 सीटों के लिए होन९ वाला मतदान स्थगित कर दिया था.

राज्यसभा सचिवालय ने गुरुवार को कहा कि 'तत्काल शपथ या सदस्यता पुुष्टि की कोई आवश्यकता नहीं है.' यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य सभा के लिए चुने गए सदस्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के संबंधित प्रावधानों के तहत सदस्यता का कार्यकाल के प्रारंभ होने पर ही सदन में निर्धारित शपथ के साथ सदन में अपना आसन ग्रहण करने के हकदार हैं.

निर्वाचित सांसदों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं होगी सिवाय इसके कि वह शपथ ग्रहण के साथ सदस्यता पुष्टि होने तक सदन में या उसकी किसी समिति की बैठक में शामिल होने और मतदान करने के हकदार नहीं होंगे. हालांकि नवनिर्वाचित सदस्य सदस्य संसद अधिनियम 1954 के तहत सभी वेतन, भत्ते और पेंशन पाने के पात्र होंगे. सचिवालय ने राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को फिलहाल लॉकडाउन अवधि समाप्त होने तक शपथ के लिए प्रतीक्षा करने की सलाह दी है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू शुक्रवार को राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों, उपराज्यपालों एवं प्रशासकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने लिए किए जा रहे प्रयासों तथा संबंधित मुद्दों पर संवाद करेंगे. राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, यह दूसरा मौका है जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति कोरोना वायरस से जुड़े मुद्दे पर राज्यपालों एवं उपराज्यपालों के साथ संवाद कर रहे हैं.

इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसा पहला संवाद कार्यक्रम 27 मार्च को हुआ था जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल सहित कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित 14 राज्यों के राज्यपालों ने हिस्सा लिया और अपने अनुभव साझा किए थे. शेष प्रदेशों के राज्यपाल एवं उपराज्यपाल शुक्रवार को अपने अनुभव साझा करेंगे.

संवाद कार्यक्रम के एजेंडे में राज्यों में कोविड-19 की स्थिति, कमजोर वर्गों के संदर्भ में रेड क्रॉस की भूमिका, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के प्रयासों को मजबूत बनाने में नागरिक समाज, स्वयंसेवी संगठनों, निजी क्षेत्र की भूमिका आदि पर विचारों का आदान-प्रदान शामिल है.

टॅग्स :कोरोना वायरसराज्य सभासीओवीआईडी-19 इंडिया
Open in App

संबंधित खबरें

भारतआपका यहां तक पहुंचना लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत, उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को लेकर पीएम मोदी ने राज्यसभा में बोले, वीडियो

भारतराज्यसभा में राजद को हो जाएगा सफाया, राजद के पास वर्तमान में पांच और कांग्रेस के पास एक सीट

भारतजेके राज्यसभा चुनावः चौधरी मुहम्मद रमजान, शम्मी ओबेराय और सज्जाद किचलू को नेकां ने मैदान में उतारा, कांग्रेस को चौथी सीट, जानिए भाजपा प्रत्याशी कौन?

भारतPunjab Rajya Sabha Elections: जनता पार्टी अध्यक्ष नवनीत चतुर्वेदी ने भरा बतौर निर्दलीय उम्मीदवार राज्यसभा का नामांकन, इस दल से टक्कर

भारतकौन हैं राजिंदर गुप्ता, संजीव अरोड़ा की जगह जाएंगे राज्यसभा, चुने जाएंगे निर्विरोध

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?