कोविशील्ड वैक्सीन ट्रायल में 'साइड इफेक्ट' पर 5 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग! मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
By विनीत कुमार | Published: February 19, 2021 05:55 PM2021-02-19T17:55:40+5:302021-02-19T17:59:44+5:30
कोविशील्ड वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले एक शख्स ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका डाली है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित सीरम इंस्टट्यूट और एस्ट्रा जेनेका से जवाब तलब किया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने एक शख्स की याचिका के बाद केंद्र सरकार सहित कोरोना वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टट्यूट ऑफ इंडिया (CII) और एस्ट्रा जेनेका यूके को नोटिस जारी किया है। शख्स ने अपनी याचिका में दावा किया है कि कोविशील्ड के क्लिनिकल ट्रायल में हिस्सा लेने के बाद उसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हुए।
कोविशील्ड दरअसल ऑक्सफोर्ड एस्ट्रा जेनेका की कोविड-19 की वैक्सीन है, जिसका भारत में निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टट्यूट कर रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आसिफ रियाज ने अपनी याचिका में कहा है कि ट्रायल के दौरान कोविशील्ड की पहली डोज लेने के बाद उसे काफी गंभीर साइड इफेक्ट हुआ और हालत ये हुई कि उसे 11 अक्टूबर, 2020 से दो हफ्ते के लिए अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोविशील्ड को असुरक्षित घोषित किया जाए। साथ ही आसिफ ने उसे और उसके परिवार को हुई परेशानी और मानसिक तनाव के लिए पांच करोड़ के हर्जाने की भी मांग की है।
कोर्ट ने आसिफ की याचिका मंजूर कर ली है और संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया है। इसमें ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), डायरेक्टर जनरल ऑफ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और अन्य शामिल हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब 26 मार्च को होनी है।
बता दें कि भारत में कोरोना की वैक्सीन लगाने की शुरुआत 16 जनवरी, 2021 को हुई थी। भारत सरकार ने कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को पहले फेज में स्वास्थ्यकर्मियों को लगाने की इजाजत दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में अब तक (18 फरवरी) कुल 1,01,88,007 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है।
भारत में दुनिया में सबसे तेजी से वैक्सीनेशन का काम हो रहा है। भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना वैक्सीन लगाए जाने जाने के मामले में चौथे नंबर पर पहुंच गया है। पहले स्थान पर अमेरिका, दूसरे स्थान पर चीन और तीसरे स्थान पर ब्रिटेन हैं। हालांकि इन तीनों देशों में वैक्सीन लगाने का काम भारत से पहले ही शुरु हो गया था।