Coronavirus: कोरोना बड़ी चिंता, उसके बाद बेरोजगारी, अपराध, गरीबी और असमानता, सर्वेक्षण में 62 % ने कहा- कोविड-19 सबसे आगे

By भाषा | Published: May 1, 2020 08:30 PM2020-05-01T20:30:12+5:302020-05-01T20:30:12+5:30

वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार देश के लगभग 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी सबसे बड़ी चिंता का विषय है। इसमें लगभग 20 हजार लोगों ने भाग लिया। 65 प्रतिशत लोगों ने कहा देश सही दिशा में जा रहा है।

Corona virus India Corona major concern unemployment, crime, poverty and inequality | Coronavirus: कोरोना बड़ी चिंता, उसके बाद बेरोजगारी, अपराध, गरीबी और असमानता, सर्वेक्षण में 62 % ने कहा- कोविड-19 सबसे आगे

सर्वेक्षण में कहा गया है कि 62 प्रतिशत भारतीय लोगों ने कोविड-19 का जिक्र किया। (file photo)

Highlights‘‘व्हाट वरीज द वर्ल्ड' सर्वेक्षण के अनुसार वैश्विक नागरिकों के लिए भी कोविड-19 प्रमुख चिंता का विषय है। 38 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी, 24 प्रतिशत ने अपराध और हिंसा और 21 प्रतिशत लोगों ने गरीबी और सामाजिक असमानता को कारण बताया।

नई दिल्लीः एक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार शहरी भारतीयों के लिए कोरोना वायरस सबसे बड़ी चिंता का विषय है। उसके बाद बेरोजगारी, अपराध, गरीबी और असमानता जैसे विषय आते हैं।

हालांकि, सर्वेक्षण में भाग लेने वाले अधिकतर भारतीय लोगों ने कहा कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। ‘‘व्हाट वरीज द वर्ल्ड' सर्वेक्षण के अनुसार वैश्विक नागरिकों के लिए भी कोविड-19 प्रमुख चिंता का विषय है और कम से कम 61 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इसे प्रमुख कारण बताया।

सर्वेक्षण के अनुसार शहरी भारतीयों ने कई मुद्दों का जिक्र किया जो उन्हें परेशान करते हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 62 प्रतिशत भारतीय लोगों ने कोविड-19 का जिक्र किया जबकि 38 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी, 24 प्रतिशत ने अपराध और हिंसा और 21 प्रतिशत लोगों ने गरीबी और सामाजिक असमानता को कारण बताया।

सर्वेक्षण में शामिल भारतीयों में से 65 प्रतिशत को लगता है कि देश सही दिशा में बढ़ रहा है। हालांकि ज्यादातर वैश्विक नागरिकों का मानना था कि उनका देश गलत रास्ते पर है। यह सर्वेक्षण 28 देशों में आईपीएसओएस ऑनलाइन सिस्टम के जरिए किया गया। इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, अमेरिका आदि शामिल थे। यह सर्वेक्षण 20 मार्च से तीन अप्रैल के बीच कराया गया और इसमें कुल 19,505 लोगों ने भाग लिया।

शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम वक्त की जरूरत: अर्थशास्त्री, सामाजिक कार्यकर्ता

देश के कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि एक महत्वाकांक्षी शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम वक्त की मांग है। इससे अर्थव्यवस्था की सूरत बदल सकती है। साथ ही लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार भी होने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी और अल्प बेरोजगारी में कमी तथा आमदनी में बढ़ोतरी जैसे प्रयासों से छोटे कस्बों में मांग बढ़ेगी और सफल उद्यमिता के लिए परिस्थितियां पैदा होंगी। सारथी आचार्य, विजय महाजन और मदन पटकी जैसे भारत के कुछ प्रमुख बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं ने महत्वाकांक्षी ‘रीथिंकिंग इंडिया सीरीज’ परियोजना के तीसरे खंड में बेरोजगारी की समस्या के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल की। इसमें सार्वजनिक सेवाओं और सुविधाओं के जरिए जीवन स्तर में सुधार के सुझाव दिए गए हैं।

इसके अलावा कौशल विकास के जरिए निजी क्षेत्र में रोजगार और उत्पादकता में बढ़ोतरी, अनौपचारिक क्षेत्र में आय में वृद्धि और पर्यावरण क्षरण को रोकने की बात भी कही गई है। इस श्रृंखला के ताजा अंक ‘‘रिवाइविंग जॉब्स: एन एजेंडा फॉर ग्रोथ’’ को विश्व श्रम दिवस के अवसर पर पेंगुइन रैंडम हाउस ने जारी किया।

इसमें कहा गया कि 2012 के बाद श्रम बल में प्रवेश करने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है, जबकि नई नौकरियों की संख्या घटी है, ऐसे में यह स्थिति 2020 और 2030 के बीच अधिक गंभीर हो सकती है, क्योंकि श्रम बल में बढ़ोतरी जारी रहेगी। इसमें बताया गया है कि भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश की शेष अवधि का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कैसे कर सकता है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में आने वाले दशकों में लाखों लोगों को गरीबी का सामना करना पड़ेगा। 

Web Title: Corona virus India Corona major concern unemployment, crime, poverty and inequality

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