नई दिल्ली: संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन समेत इसके सभी सदस्य, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और इसके सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिसद आज स्वेच्छा से अपने मूल वेतन में 30 प्रतिशत कटौती करने वाली रैंक में शामिल हो गए हैं. यह कटौती एक वर्ष की अवधि के लिए होगी और अप्रैल से शुरू होगी. इन निकायों ने बुधवार को इस संबंध में औपचारिक घोषणा की.मुख्य सतर्कता आयुक्त शरद कुमार ने भी एक वर्ष तक वेतन में 30 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव सरकार को लिखित दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्तऔर आयुक्तों ने भी इसी तरह की घोषणा की थी. आधिकारिक तौर पर पता चला है कि सेवानिवृत्त होने के बाद सरकार में कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, सचिव के पद संभालने वाले सभी पदेन सदस्य भी तत्काल प्रभाव से अपने वेतन में कटौती कर रहे हैं.
यदि सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो इनमें प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और अन्य अधिकारी शामिल हैं. 'लोकमत समाचार' ने मंगलवार को सबसे पहले अपने सभी संस्करणों में सभी बोर्ड, ट्रिब्यूनल और आयोगों और अन्य निकायों के अपने मूल वेतन में 30 प्रतिशत कटौती करने के फैसले की खबर छापी थी.केंद्र सरकार ने प्रशासनिक और अन्य खर्चों को कम करने के एक हिस्से के रूप मे आयोगों, न्यायाधिकरणों, बोर्डों और सभी वैधानिक निकायों के सदस्यों के वेतन में कटौती करने का निर्णय किया है. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद, राज्यपाल आदि पहले से ही अगले एक वर्ष के लिए अपने वेतन में कटौती कर चुके हैं. संसद के सदस्य भी अपने वेतन में कटौती करेंगे.केंद्र के अधीन 200 बोर्ड, ट्रिब्यूनल, आयोग
यहां उल्लेख किया जा सकता है कि केंद्र सरकार के अधीन 200 से अधिक बोर्ड, ट्रिब्यूनल, आयोग, अपीलीय ट्रिब्यूनल और निकाय कार्य कर रहे हैं. ऐसे निकायों के अधिकांश सदस्य रिटायर्ड नौकरशाह, रिटायर्ड न्यायाधीश, विशेषज्ञ आदि हैं. संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि को पहले ही दो साल के लिए खत्म कर दिया गया है. इससे सरकारी खजाने को 7900 करोड़ रुपए की बचत होगी. संसद की दोनों सदनों में 783 सांसद हैं और वे भी 30 प्रतिशत कम वेतन लेंगे.