मनीष तिवारी की किताब पर विवादः 26/11 हमले के जिक्र पर बोलीं सीतारमण- UPA सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी जाती थी
By अनिल शर्मा | Published: November 24, 2021 07:29 AM2021-11-24T07:29:27+5:302021-11-24T07:45:49+5:30
मनीष तिवारी ने अपनी नयी पुस्तक ‘10 फ्लैशप्वाइंट्स: 20 ईयर्स’ में 26/11 के मुंबई हमलों पर कार्रवाई को लेकर तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की आलोचना की गयी है।
जम्मूः कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की पुस्तक में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की तत्कालीन सरकार पर 26/11 के मुंबई हमले की प्रतिक्रिया संबंधी टिप्पणी से उपजे विवाद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी जाती थी।
सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ने सशस्त्र सेनाओं को उचित समय पर उचित निर्णय लेने का पूरा अधिकार प्रदान किया ताकि देश के लोगों को यह दिखाया जा सके कि भारत ऐसी परिस्थिति में किस प्रकार का जवाब देता है। तिवारी की पुस्तक पर एक संवाददाता के सवाल का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 2014 से इस प्रकार के निर्णय स्पष्ट उद्देश्य और नेतृत्व के साथ लिए गए। इससे सशस्त्र सेनाओं का मनोबल ऊंचा हुआ और (राष्ट्रीय सुरक्षा के) मुद्दों पर ध्यान दिया गया।”
मनीष तिवारी ने अपनी नयी पुस्तक ‘10 फ्लैशप्वाइंट्स: 20 ईयर्स’ में 26/11 के मुंबई हमलों पर कार्रवाई को लेकर तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की आलोचना की है। तिवारी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि कई बार संयम कमजोरी की निशानी होती है और भारत को 26/11 हमले के बाद कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी। इसके साथ ही मनीष तिवारी ने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने सेना के ‘माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प’ को खत्म कर भाजपा सरकार ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
कांग्रेस नेता की पुस्तक के इस अंश को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा। बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि मनीष तिवारी जी ने जो बात अपनी पुस्तक में कही, जिसको हम सभी ने मीडिया में देखा है, ये कहना गलत नहीं होगा कि जो तथ्य सामने आए हैं, इसको कांग्रेस की विफलता का कबूलनामा कहना ही उपयुक्त होगा। किताब दो दिसंबर को बाजार में आएगी।