अग्निपथ योजना के खिलाफ विपक्ष के पत्र पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने साइन करने से किया इनकार, जानिए क्या है मामला
By मनाली रस्तोगी | Published: July 11, 2022 06:01 PM2022-07-11T18:01:34+5:302022-07-11T18:02:23+5:30
बैठक में शामिल होने वाले विपक्षी सदस्यों में टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय और सौगत रॉय, एनसीपी से सुप्रिया सुले, कांग्रेस से रजनी पाटिल, शक्ति सिंह गोहिल और मनीष तिवारी और राजद के एडी सिंह शामिल थे।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सोमवार को 'अग्निपथ' भर्ती योजना के खिलाफ विपक्ष के एक पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। तिवारी उन सात विपक्षी सांसदों में से एक थे, जिन्होंने सशस्त्र बलों के लिए शुरू की गई नई भर्ती योजना के बारे में चिंता व्यक्त करने के लिए आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।
हालांकि, इनमें से केवल छह सांसदों ने राजनाथ सिंह को सौंपने से पहले एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें योजना को वापस लेने या उसकी जांच करने की मांग की गई थी। बैठक में शामिल होने वाले विपक्षी सदस्यों में टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय और सौगत रॉय, एनसीपी से सुप्रिया सुले, कांग्रेस से रजनी पाटिल, शक्ति सिंह गोहिल और मनीष तिवारी और राजद के एडी सिंह शामिल थे।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा नए भर्ती मॉडल की घोषणा के तुरंत बाद 16 जून को मनीष तिवारी ने पहली बार 'अग्निपथ' योजना का समर्थन किया था। बाद में 30 जून को कांग्रेस ने तिवारी से दूरी बना ली क्योंकि उन्होंने 'अग्निपथ' भर्ती योजना को एक बार फिर समर्थन दिया, जो इस पहल का विरोध करने की पार्टी की आधिकारिक लाइन का सीधा विरोधाभास था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ आज हुई बैठक के दौरान मनीष तिवारी सहित विपक्षी नेताओं ने देश में "भारी बेरोजगारी" के बारे में बात की, जो इस योजना के लिए बड़ी संख्या में आवेदनों का कारण है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि विपक्ष ने कहा कि यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि लोगों ने इस योजना के लिए बड़ी संख्या में आवेदन किया है क्योंकि देश में भारी बेरोजगारी है और पूछा कि सरकार इस पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है?
नेताओं ने सेना को राजनीति में घसीटने के लिए सरकार की भी निंदा की। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि सशस्त्र बलों के जवान राजनेताओं के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों कर रहे थे। बैठक में सेना प्रमुख मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और तीनों सेनाओं के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।