इजरायली एजेंसी एनएसओ द्वारा की गयी जासूसी को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है. विपक्ष जहां सरकार का हाथ होने का आरोप लगा रहा है वहीं सरकार ने इसका खंडन किया है. संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ किया कि सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, व्हाट्सएप्प से पूछा गया है कि भारतीयों की निजता की सुरक्षा के लिए वह क्या कर रही है.
इधर कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए सर्वोच्च न्यायालय से मांग की कि वह स्वत: इस मामले का संज्ञान ले और अपनी निगरानी में पूरे मामले की जांच कराए कि किस तरह भाजपा ने लोगों की जासूसी के लिए इस साफ्टवेयर को खरीदकर निजता का उल्लंघन किया है.
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि जासूसी करने वाले सॉफ्टवेयर को खरीदने की अनुमति सरकार को किसने दी. क्या प्रधानमंत्री ने, या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने. उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार उन लोगों के खिलाफ क्या कार्यवाही करने जा रही है जिन्होंने यह सॉफ्टवेयर खरीदकर अवैध ढंग से लोगों की जासूसी कराई.कांग्रेस ने आशंका जाहिर की कि जिन लोगों की जासूसी की गयी है उनमें केवल पत्रकार, वकील और बुद्धिजीवी ही शामिल नहीं, बल्कि देश की अदालतों के न्यायाधीश भी इससे अछूते नहीं रहे है. जासूसी उस समय कराई जब देश में चुनाव नजदीक थे.
रविशंकर प्रसाद ने इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस को याद दिलाया कि तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के कार्यालय में केवल एक परिवार के लिए जासूसी कराई गई थी जो लंबे समय तक अखबार की सुर्खियों में रहा.कांग्रेस और सरकार के बीच जासूसी को लेकर अब यह नई जंग शुरु हो गई है माना जा रहा है कि मामला शांत होने की जगह अगले कुछ दिनों में यह ओर तूल पकड़ेगा तथा संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार के खिलाफ जबरदस्त हंगामा कर सकता है.