भीमा कोरेगांव मामला: सुप्रीम कोर्ट से कार्यकर्ताओं ने मांगा समय, कहा- जेल जाने का मतलब 'मौत की सजा'

By भाषा | Published: April 8, 2020 08:52 PM2020-04-08T20:52:07+5:302020-04-08T20:52:07+5:30

कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बढ़ते प्रकोप की वजह से भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी व नागिरक अधिकार कार्यकता गौतम नवलखा और आनंद तेल्तुम्बडे ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह अभी खुद को जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने के लिए तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से उन्हें और समय दिया जाए।

Civil rights activists sought time from Supreme Court to surrender in Bhima Koregaon case | भीमा कोरेगांव मामला: सुप्रीम कोर्ट से कार्यकर्ताओं ने मांगा समय, कहा- जेल जाने का मतलब 'मौत की सजा'

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के बाद कहा कि इस आवेदन पर बाद में आदेश सुनाया जायेगा। (फाइल फोटो)

Highlightsसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के बाद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस आवेदन पर बाद में आदेश सुनाया जायेगा।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सिर्फ समर्पण करने से बचने के प्रयास का तरीका है जबकि दोनों ही आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।

नई दिल्ली: नागिरक अधिकार कार्यकता गौतम नवलखा और आनंद तेल्तुम्बडे ने कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को अनुरोध किया कि उन्हें भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने के लिये और समय दिया जाए। इन कार्यकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान जेल जाने का मतलब 'मौत की सजा' जैसा ही है। 

शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को इन कार्यकर्ताओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुये कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता कि उनके खिलाफ पहली नजर में कोई मामला नहीं बना है। हालांकि, न्यायालय ने इन कार्यकर्ताओं को जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने के लिये तीन सप्ताह का वक्त दिया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच एजेन्सी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुनने के बाद कहा कि इस आवेदन पर बाद में आदेश सुनाया जायेगा। 

मेहता ने कहा कि यह सिर्फ समर्पण करने से बचने के प्रयास का तरीका है जबकि दोनों ही आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। आरोपियों के वकील का कहना था कि ये कार्यकर्ता पुरानी बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें समर्पण करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता है। पुणे पुलिस ने कोरेगांव भीमा गांव में 31 दिसंबर 2017 की हिंसक घटनाओं के बाद एक जनवरी, 2018 को नवलखा, तेल्तुम्बडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ माओवादियों से कथित रूप से संपर्क रखने के कारण मामले दर्ज किये थे।

Web Title: Civil rights activists sought time from Supreme Court to surrender in Bhima Koregaon case

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