NRC: जानिए क्या है राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन, पढ़ें सरकार और विपक्ष की दलीलें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2019 14:41 IST2019-12-19T14:14:10+5:302019-12-19T14:41:10+5:30
आज (19 दिसंबर) दिल्ली और बिहार में एनआरसी और नए कानून को लेकर लोग सड़कों पर है।

एनआरसी को लेकर पूरे देश में विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं.
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और संशोधित नागरिकता कानून को लेकर पूरे देश भर में प्रदर्शनों का दौर तेज हो गया है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 12 दिसंबर को लागू हुआ है और इसके बाद से ही देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, पश्चिम बंगाल, असम, पूर्वोत्तर, बिहार और दिल्ली में व्यापक प्रदर्शन हुए है।
एनआरसी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शुरू से रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में भी कहा था कि सत्ता में दोबारा आने पर पूरे देश में एनआरसी लागू करेगी। पश्चिम बंगाल की एक रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहली बार पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात उठाई थी। शीतकालीन सत्र 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विचार है। इसके बाद से ही पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर सहित देश भर में प्रदर्शन हो रहे है।
जानिए क्या है एनआरसी
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप (एनआरसी) या राष्ट्रीय नागरिक पंजी को असम में लागू किया गया है। एनआरसी को पहली बार 1951 में तैयार किया गया था, जिसका उद्देश्य असम में घुसे आए घुसपैठियों की संख्या पता करना था। इसके तहत 24 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आए अप्रवासी कानूनी रूप से भारतीय नागरिकता का दावा कर सकते हैं। असम में दशकों से बड़ी संख्या में लोग बांग्लादेश से अवैध तरीके से आ रहे हैं। इसलिए 1985 में हुए असम समझौते की एक शर्त अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकालने की है। अब सिर्फ असम ही नहीं पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कही है।
एनआरसी अपडेट की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई और इसका उद्देश्य 1971 के बाद बड़ी संख्या में बांग्लादेश से असम में आए अवैध प्रवासियों की पहचान करना है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान लाखों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक सीमा पार कर असम पहुंचे थे।
जानें सिलसिलेवार घटनाक्रम:
08 अप्रैल, 2019: भाजपा के संकल्प पत्र देश के अन्य क्षेत्रों में एनआरसी का उल्लेख
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के संदर्भ में संकल्प पत्र में कहा गया है कि घुसपैठ से कुछ क्षेत्रों की सांस्कृतिक और भाषायी पहचान में भारी परिवर्तन हुआ है और स्थानीय लोगों की आजीविका तथा रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाप पड़ा है। ऐसे क्षेत्रों में प्राथमिकता पर एनआरसी का कार्य किया जायेगा। देश में चरणबद्ध तरीके से चिन्हित करके इसे लागू करेंगे। एनआरसी अभी असम में अवैध घुसपैठियों की पहचान के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है ।
11 अप्रैल, 2019: भाजपा अगली सरकार बनाने पर अनुच्छेद 370 हटा देगी, एनआरसी लाएगी- अमित शाह
लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि पार्टी सत्ता में वापस आने पर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा देगी और देशभर में नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी लाएगी। बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटा दिया गया।
31 अगस्त: एनआरसी की अंतिम सूची जारी, 19.07 लाख लोग बाहर
असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम ऑनलाइन जारी हुई। इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया। एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 3,30,27,661 लोगों ने एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था। इनमे से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है। शामिल किए गए और बाहर किए गए नामों को लोग एनआरसी की वेबसाइट www.nrcassam.nic.in पर देख सकते हैं। जुलाई 2018 में एनआरसी के अंतिम मसौदा से 3,29,91,384 करोड़ लोगों में से 40,07,707 लोगों को बाहर कर दिया गया था। इसके बाद जून में 1,02,462 लोगों को बाहर कर दिया गया था। करीब 20वीं सदी की शुरुआत से ही बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा असम अकेला राज्य है जहां पहली बार 1951 में राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार किया गया था। तब से ऐसा पहली बार है जब एनआरसी का अद्यतन किया गया है।
5 सितंबर: एनआरसी संयोजक प्रतीक हजेला के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची में ‘‘विसंगतियों’’ के लिए एनआरसी के असम संयोजक प्रतीक हजेला के खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, विदेशी घोषित किए गए तीन बांग्लादेशी नागरिकों के नाम एनआरसी की अंतिम सूची में शामिल किए जाने पर एक एनजीओ ने इन तीनों और मोरीगांव जिले के एनआरसी अधिकारियों के खिलाफ तीसरी शिकायत दर्ज कराई है।
सितंबर, 2019
एनआरसी की सूची आने के बाद से ही असम में भारी विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इसमें सही प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ और कई हिंदुओं को भी बाहर रखा गया है। असम में विवादित राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को लेकर अब सांप्रदायिक विभाजन का भी खुलासा हुआ है। समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने वाले सूत्रों ने बताया कि एनआरसी में नाम दर्ज करवाने के लिए मुसलमानों से अधिक हिंदुओं ने फर्जी दस्तावेज जमा कराए हैं। 31 अगस्त के बाद से ही असम-बंगाल में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
20 नवंबर, 2019: असम सरकार ने केन्द्र से मौजूदा एनआरसी को खारिज किये जाने का अनुरोध किया
असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया राज्य सरकार ने जारी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को खारिज किये जाने का केन्द्र से अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, ‘‘असम सरकार ने एनआरसी को स्वीकार नहीं किया है। असम सरकार और भाजपा ने गृह मंत्री से एनआरसी को खारिज करने का अनुरोध किया है।’’ सरमा ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे देश के लिए एक निर्दिष्ट साल तक एक राष्ट्रीय एनआरसी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि निर्दिष्ट वर्ष 1971 है तो यह सभी राज्यों के लिए वही होना चाहिए... हम असम समझौते को रद्द करने के लिए नहीं कह रहे हैं।’’ एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की कड़ी निंदा करते हुए मंत्री ने आरोप लगाया कि एनआरसी की पूरी कवायद राज्य सरकार को अलग रखते हुए चलाई गई।
20 नवंबर, 2019: अमित शाह बोले-पूरे देश में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू होने पर असम भी इसका हिस्सा होगा
गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि गैर कानूनी तरीके से भारत में आये अन्य देशों के नागरिकों की पहचान के लिये देशव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे असम में भी दोहराया जाएगा। शाह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि एनआरसी में धार्मिक आधार पर नागरिकों की पहचान का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें सभी धर्मों के लोगों को शामिल किया जाएगा। शाह ने कहा कि असम में गैरकानूनी शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एनआरसी कानून बना कर लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि बाद में एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जायेगा, उस समय भी असम को इसमें स्वाभाविक तौर पर शामिल किया जायेगा। असम में एनआरसी से बाहर किये गये 19.6 लाख लोगों की अपील पर अभी तक न्यायाधिकरण में सुनवाई नहीं होने के पूरक प्रश्न के जवाब में शाह ने कहा, ‘‘ऐसे सभी लोगों को ट्रिब्यूनल में जाने का अधिकार है जिनके नाम एनआरसी में छूट गये हैं। ट्रिब्यूनल में अपील दायर करने की सुविधा असम की हर तहसील में मुहैया करायी जाएगी और राज्य सरकार निर्धन तबके के लोगों को विधिक सहायता भी उपलब्ध करायेगी।
28 नवंबर: अंतिम एनआरसी से बाहर हुए हिंदू बंगालियों की संख्या सार्वजनिक करेगी असम सरकार
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को इसके वर्तमान स्वरूप में खारिज करने का केंद्र से अनुरोध कर चुके असम भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची से बाहर हुए हिंदू बंगालियों का जिलेवार आंकड़ा वर्तमान विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय किया है। असम के वित्तमंत्री सरमा ने दावा किया कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य में तीन वर्ष पहले राष्ट्रीय नागरिक पंजी प्रक्रिया के अद्यतन की प्रक्रिया में ‘‘भारी अनियमितता’’ पायी है। उन्होंने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम उन हिंदू बंगाली व्यक्तियों के आंकड़े विधानसभा के वर्तमान सत्र के दौरान देंगे जो (एनआरसी से बाहर किये जाने के बाद फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में) विभिन्न जिलों में आवेदन कर रहे हैं। हम पहले यह आंकड़ा नहीं दे सके क्योंकि एनआरसी तैयार नहीं हुआ था। अब हमारे पास जिलेवार आंकड़ा है।’’
02 दिसंबर, 2019: शाह ने एनआरसी के लिये 2024 की समयसीमा तय की, तब तक सभी घुसपैठिये निकाले जाएंगे
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने देश भर में एनआरसी लागू करने के लिये 2024 की समयसीमा तय करते हुए कहा कि अगले आम चुनावों तक “हर” घुसपैठिये की पहचान कर उसे देश से निष्कासित किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्षी दलों की आपत्तियों के बावजूद इस राष्ट्रव्यापी कवायद को अंजाम दिया जाएगा। शाह ने चक्रधरपुर और बहरागोड़ा में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए कहा, “आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि 2024 के चुनावों से पहले देशभर में एनआरसी कराई जाएगी और हर घुसपैठिये की पहचान कर उसे निष्कासित किया जाएगा।”
6 दिसंबर, 2019: एनआरसी से बाहर रह गए लोगों को हिरासत केंद्र में रखना ‘‘महान विचार’’ नहीं-हेमंत बिस्व सरमा
असम के वित्तमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि जिन लोगों के नाम राज्य के राष्टीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में नहीं हैं उन्हें हिरासत केंद्र में रखना ‘‘महान विचार’’ नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे केंद्रों में रखने का प्रस्ताव कार्यकारी की ओर से तय प्रक्रिया का नतीजा नहीं है बल्कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय का है। सरमा ने सार्वजनिक रूप से असम में एनआरसी को खारिज कर दिया था और दावा किया था कि लाखों हिंदू जो वास्तव में देश के नागरिक हैं, उन्हें सूची से बाहर कर दिया गया है।
कौन सी पार्टी विरोध में
कांग्रेस, टीएमसी, बीजेडी, द्रमुक, एमएनएम, एनसीपी एनआरसी के विरोध में हैं। इसका अलावा जेडीयू के अंदर से भी एनआरसी के विरोध में आवाजें उठ रही है। ममता बनर्जी ने कहा है कि बंगाल में नागरिकता कानून और एनआरसी को मेरी लाश पर ही लागू किया जा सकता है। वही शिया बोर्ड ने कहा, पूरे देश में एनआरसी लागू करने के फैसले पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार करने के लिए कहा है। विपक्षी दल एनआरसी को संविधान विरोधी बता रहे हैं। वहीं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि अपने-अपने राज्यों में एनआरसी को लागू करेंगे।
एनआरसी को लेकर बीजेपी का बयान
17 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनआरसी को देशभर में लागू करने पर प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार होने पर इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा और यह जनता के सामने आएगा। उन्होंने कहा, ‘‘एनआरसी को संशोधित नागरिकता कानून से जोड़ने का कोई मतलब नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, मैं उनसे शांति की अपील करता हूं। लेकिन हम उन लोगों को नहीं समझा सकते जो केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए हर मुद्दे में कूद जाते हैं। वामपंथियों और माओवादियों को तो मोदी की आलोचना करनी ही है, चाहे जो हो।’’