आतंकवाद पर अपनी सोच को लेकर चीन को आत्मनिरीक्षण करना होगा- भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर
By शिवेंद्र राय | Published: August 13, 2022 04:59 PM2022-08-13T16:59:57+5:302022-08-13T17:01:21+5:30
भारत और अमेरिका की कोशिश है कि जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अब्दुल रऊफ की वैश्विक यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाये और उसकी संपत्ति फ्रीज की जाए। लेकिन चीन इसमें रोड़ा अटका रहा है। सुरक्षा परिषद में चीन की अब्दुल रऊफ को बचाने की कोशिशों पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा है कि चीन को अपना आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
नई दिल्ली: हाल ही चीन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत और अमेरिका की कोशिशों को झटका दिया था। भारत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर आतंकवादियों की सूची में शामिल कराने की कोशिश की थी। लेकिन चीन ने इस पर यह कहते हुए अड़ंगा लगा दिया कि अबुल रऊफ अजहर के बारे में जानकारी की कमी है। दरअसल 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में किसी को वैश्विक आतंकियों की संयुक्त राष्ट्र की सूचि में शामिल कराने के लिए सभी 15 सदस्यों का सहमत होना जरूरी है।
अब इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब आया है। न्यूज 18 कन्नड़ से बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद पर अपनी खुद की विश्वसनीयता का आत्मनिरीक्षण करना चीन के लिए जरूरी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि “हमें दृढ़ रहने की जरूरत है और कोई समझौता नहीं करना चाहिए। इन आतंकियों को ब्लैक लिस्ट करना हमारे लिए स्वाभाविक है। जब अन्य देश इसे अवरुद्ध करते हैं, तो यह उन्हें सोचना है कि आतंकवाद की बात करते समय उनकी अपनी विश्वसनीयता के लिए इसका क्या मतलब है।"
अगर अब्दुल रऊफ एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित हो जाता है तो उसकी वैश्विक यात्राओं पर प्रतिबंध लग जाएगा और साथ ही पाकिस्तान को उसकी संपत्ति को फ्रीज करना पड़ेगा और हथियारों और संबंधित सामग्रियों तक उसकी पहुंच को रोकना पड़ेगा।
भारतीय विदेशमंत्री ने कहा कि दुनिया के बड़े हिस्से का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिनिधित्व नहीं है। चीन, रूस, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस वीटो शक्तियों के साथ स्थायी सदस्य हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत जैसे शीर्ष अर्थव्यवस्था और आबादी वाले देश संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता में इजाफा करेंगे। सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के सवाल पर एस जयशंकर ने कहा कि समकालीन वैश्विक वास्तविकता को सही से दर्शाने करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है। भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और जापान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के प्रबल दावेदार हैं, जिनके पास अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी है।