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छत्तीसगढ़: करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में 12 अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश

By भाषा | Updated: January 31, 2020 06:59 IST

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने लगभग एक हजार करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है।

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ठळक मुद्देउच्च न्यायालय ने सीबीआई को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और पंद्रह दिनों में सम्बंधित विभाग से मूल दस्तावेज जब्त करने के लिए निर्देशित किया है।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने लगभग एक हजार करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों समेत 12 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है।

अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर ने आज यहां बताया कि उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने गुरुवार को एक एनजीओ के माध्यम से राज्य के आला अफसरों द्वारा करीब एक हजार करोड़ रुपयों की हेराफेरी के मामले में फैसला सुनाते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए हैं।

उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और पंद्रह दिनों में सम्बंधित विभाग से मूल दस्तावेज जब्त करने के लिए निर्देशित किया है।

ठाकुर ने बताया कि पूरा मामला राज्य के समाज कल्याण विभाग से संबंधित है। वर्ष 2004 में तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक एनजीओ, राज्य श्रोत निःशक्त जन संस्थान की स्थापना की गई थी। इस एनजीओ में राज्य के अनेक आईएएस अफसर सीधे जुड़े हुए थे।

उन्होंने बताया कि रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उसके सहित अनेक लोगों को किसी अन्य सरकारी संस्थान में नियमित कर्मचारी बताकर उनका वेतन नगद आहरित किया जा रहा था।

याचिकाकर्ता ने राज्य के वरिष्ठ आईएएस अफसरों समेत 12 अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया था जिसमें विवेक ढांड, एम के राउत, आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पाण्डेय, पी पी सोती, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हर्मन खलको, एम एल पाण्डेय और पंकज वर्मा शामिल हैं।

याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि राज्य के उच्च अधिकारियों द्वारा किए गए करीब 630 करोड़ रूपयों के घोटाले की सीबीआई से जांच कराई जाए तथा सम्बंधित दोषी अफसरों से इस रकम की वसूली की जाए।

ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2017 में उच्च न्यायालय में याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में सुनने के लिए युगल पीठ में भेज दिया था। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय में जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की युगल पीठ ने विगत 24 अक्टूबर 2019 में मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

न्यायालय की युगल पीठ ने गुरुवार को अपने फैसले में मामले की सीबीआई जांच के आदेश देते हुए एक सप्ताह के भीतर संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और पंद्रह दिनों में सम्बंधित विभाग से मूल दस्तावेज जब्त करने के लिए सीबीआई को निर्देशित किया है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि आवश्यक होने पर सीबीआई इस कोर्ट से उचित आवेदन देकर निर्देश ले सकती है।

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