बीएन मंडल विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में लगे राज्यपाल वापस जाओ के नारे, नारेबाजी से मची अफरातफरी
By एस पी सिन्हा | Published: August 3, 2022 07:20 PM2022-08-03T19:20:27+5:302022-08-03T19:22:45+5:30
राज्यपाल फागू चौहान के भाषण के दौरान ही कुछ लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। राज्यपाल वापस जाओ के नारों से पंडाल गूंज उठा। बाद में पुलिस ने ऐसे लोगों को पंडाल से बाहर निकाला। मौके पर ऊर्जा और योजना व विकास विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि शिक्षा का अर्थ समझदार होना नहीं बल्कि आचरण युक्त होना है। सिर्फ डिग्री हासिल करना ही मंशा न हो ज्ञान अर्जित करें।
पटना: बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान को आज मधेपुरा में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। दीक्षांत समारोह में उनके भाषण के दौरान अचानक भीड़ से राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगने शुरू हो गए। काफी देर तक नारेबाजी हुई इससे अफरातफरी मची गई। इस दौरान मची अफरातफरी के बीच सुरक्षाकर्मियों ने मामला शांत कराया। बताया जा रहा है कि कौन लोग नारेबाजी कर रहे थे, इसकी पहचान की जा रही है।
किस संगठन से जुड़े थे या विवि से अधिकारी कर्मचारी थे, इसका अभी पता नहीं चला है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। मिली जानकारी के अनुसार लगभग 12 बजे हेलीकाप्टर से राज्यपाल फागू चौहान मधेपुरा पहुंचे थे। बीएन मंडल विश्वविद्यालय में आज चौथा दीक्षांत समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने टापर व गोल्ड मेडिलस्ट को प्रमाणपत्र प्रदान किया। मौके पर उन्होंने कहा कि अपने अर्जित ज्ञान को और अधिक विस्तृत कर दूसरे में बांटे। अपने क्षेत्र में सर्वोच्च मुकाम हासिल कर राष्ट्र के विकास व मानवता के कल्याण में अपना योगदान दें।
राज्यपाल के भाषण के दौरान ही कुछ लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। राज्यपाल वापस जाओ के नारों से पंडाल गूंज उठा। बाद में पुलिस ने ऐसे लोगों को पंडाल से बाहर निकाला। मौके पर ऊर्जा और योजना व विकास विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि शिक्षा का अर्थ समझदार होना नहीं बल्कि आचरण युक्त होना है। सिर्फ डिग्री हासिल करना ही मंशा न हो ज्ञान अर्जित करें। चतुर्थ दीक्षांत समारोह में कुल 574 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसमें 289 छात्राएं व 282 छात्रों को प्रमाण पत्र दिया गया। वहीं 47 विद्यार्थियों को स्वर्णपदक प्रदान किया गया। इसमें 26 छात्राएं 21 छात्र शामिल थे। कुल 97 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि मिली।