चंद्रयान-3 को इसरो अगस्त में करेगा लॉन्च, 19 मिशन इस साल पूरा करने का लक्ष्य, लोकसभा में दी गई जानकारी
By विनीत कुमार | Published: February 3, 2022 02:50 PM2022-02-03T14:50:14+5:302022-02-03T15:06:34+5:30
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी गई है कि इसरो इस अगस्त में चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा। इस मिशन से संंबंधित सभी टेस्ट पूरे कर लिए गए हैं।
नई दिल्ली: चांद की सतह पर यान उतारने के मिशन के असफल होने के दो साल से ज्यादा के समय के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब चंद्रयान-3 भेजने की तैयारी में है। इसे इसी साल अगस्त में लॉन्च किया जा सकता है। ये जानकारी अंतरिक्ष विभाग की ओर से लोकसभा में जानकारी दी गई है। लोकसभा में चंद्रयान-3 को लेकर हो रही देरी पर सवाल पूछा गया था।
अंतरिक्ष विभाग ने एक लिखित जवाब में कहा कि चंद्रयान-2 से मिले सबक और वैश्विक विशेषज्ञों की सलाह पर चंद्रयान-3 का काम जारी है। विभाग ने बताया कि जरूरी टेस्ट पूरे कर लिए गए हैं और अगस्त-2022 में इसे लॉन्ट किया जाएगा।
मिशन में लगातार हो रही देरी के कारणों के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण कई मिशन प्रभावित हुए हैं।
तीसरा मून मिशन चंद्रयान -2 के चंद्रमा के सतह के करीब पहुंचकर दुर्घटनाग्रस्त होने के दो साल बाद भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर और रोवर दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे जबकि ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा की सतह के ऊपर मंडरा रहा है और इसरो चंद्रयान-3 के साथ इसका भी उपयोग करने की योजना बना रहा है।
इसरो इस साल अंतरिक्ष में भेजेगा 19 मिशन
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने लिखित उत्तर में बताया कि अंतरिक्ष विभाग ने 2022 में 19 मिशन लॉन्च करने की योजना बनाई है। इस साल इसरो 8 लॉन्च वेहिकल मिशन, 07 अंतरिक्ष यान मिशन और 04 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिशन को पूरा करेगा।
इस साल 2022 का पहला प्रक्षेपण फरवरी के मध्य में किए जाने की संभावना है। इसके तहत स्पेस एजेंसी अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट को लॉन्च करने के लिए तैयार है। इसे RISAT-1A भी कहा जाता है। इस सेटेलाइट को पोलर सेटेलाइन लॉन्च वेहिकल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
RISAT-1A रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) सीरीज का हिस्सा है जिसका उपयोग रडार इमेजिंग और जासूसी के लिए किया जा सकता है। इन उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से लगभग 500 किलोमीटर ऊपर ग्रह की निचली कक्षा में स्थापित किया जाता है।