चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतारने के लिए चंद्रयान-2 की सभी गतिविधियां सामान्य हैं : इसरो

By भाषा | Updated: July 29, 2019 20:53 IST2019-07-29T20:53:09+5:302019-07-29T20:53:09+5:30

इसरो का सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III (थ्री) एम 1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को लेकर रवाना हुआ था। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 को योजना अनुसार तीसरी बार आज अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया।

CHANDRAYAAN 2: THIRD ORBIT-RAISING OF SPACECRAFT COMPLETED SUCCESSFULLY, ISRO CONFIRMS | चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतारने के लिए चंद्रयान-2 की सभी गतिविधियां सामान्य हैं : इसरो

चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान-2 को पहुंचाया जाएगा।

Highlightsइस कार्य में यान में उपलब्ध प्रणोदन प्रणाली का 989 सेकंड तक इस्तेमाल किया गया।इसरो ने कहा, ‘‘ यान 276 x 71792 किमी की कक्षा में पहुंचा गया है। अंतरिक्षयान की सारी गतिविधियां सामान्य हैं।’’

चंद्रयान-2 को सोमवार को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचाने के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘रोवर’ उतारने के इरादे से भेजे गए भारत के दूसरे चंद्र मिशन की सभी गतिविधियां सामान्य हैं।

इसरो का सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III (थ्री) एम 1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को लेकर रवाना हुआ था। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 को योजना अनुसार तीसरी बार आज अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर कक्षा में सफलतापूर्वक और ऊंचाई पर पहुंचा दिया गया।

इस कार्य में यान में उपलब्ध प्रणोदन प्रणाली का 989 सेकंड तक इस्तेमाल किया गया। इसरो ने कहा, ‘‘ यान 276 x 71792 किमी की कक्षा में पहुंचा गया है। अंतरिक्षयान की सारी गतिविधियां सामान्य हैं।’’ इसरो ने कहा कि कक्षा में यान को चौथी बार और ऊंचाई पर ले जाने का कार्य दो अगस्त को भारतीय समयानुसार अपराह्न दो से तीन बजे के बीच किया जाएगा।

अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक चंद्रमा के गुरुत्व क्षेत्र में प्रवेश करने पर चंद्रयान-2 की प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल अंतरिक्ष यान की गति धीमी करने में किया जाएगा, जिससे कि यह चंद्रमा की प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश कर सके। इसके बाद चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर चंद्रयान-2 को पहुंचाया जाएगा।

फिर लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के चारों ओर 100 किमीX 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करेगा। फिर यह सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर उतरने की प्रक्रिया में जुट जाएगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर लैंडर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा की सतह पर एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) की अवधि तक प्रयोग करेगा। लैंडर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस है। ऑर्बिटर अपने मिशन पर एक वर्ष की अवधि तक रहेगा। 

Web Title: CHANDRAYAAN 2: THIRD ORBIT-RAISING OF SPACECRAFT COMPLETED SUCCESSFULLY, ISRO CONFIRMS

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