Chandrayaan-2: कर्नाटक के पूर्व CM एचडी कुमारस्वामी का बयान, कहा- मोदी के ISRO केंद्र में कदम रखते ही वैज्ञानिकों के लिए दुर्भाग्य बन गया

By रामदीप मिश्रा | Published: September 12, 2019 08:38 PM2019-09-12T20:38:18+5:302019-09-12T20:52:32+5:30

Chandrayaan-2: एचडी कुमारस्वामी मैसूरु में कहा कि पीएम बेंगलुरु आए थे ताकि यह संदेश दिया जा सके कि वह खुद चंद्रयान -2 को उतार रहे थे, वैज्ञानिकों ने 10-12 साल तक कड़ी मेहनत की, वह सिर्फ विज्ञापन के लिए आए थे।

Chandrayaan-2: Once Narendra Modi stepped in ISRO Centre, I think it became bad luck for scientists says HD Kumaraswamy | Chandrayaan-2: कर्नाटक के पूर्व CM एचडी कुमारस्वामी का बयान, कहा- मोदी के ISRO केंद्र में कदम रखते ही वैज्ञानिकों के लिए दुर्भाग्य बन गया

File Photo

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गुरुवार (12 सितंबर) को Chandrayaan-2 (चंद्रयान-2) मिशन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसरो मु्ख्यालय के दौरे पर सवाल उठाए हैं, जिस पर विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने पीएम के दौरे को वैज्ञानिकों के लिए दुर्भाग्य बताया है। 

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एचडी कुमारस्वामी मैसूरु में कहा कि पीएम बेंगलुरु आए थे ताकि यह संदेश दिया जा सके कि वह खुद चंद्रयान -2 को उतार रहे थे, वैज्ञानिकों ने 10-12 साल तक कड़ी मेहनत की, वह सिर्फ विज्ञापन के लिए आए थे। एक बार जब उन्होंने इसरो केंद्र में कदम रखा, तो मुझे लगता है कि यह वैज्ञानिकों के लिए दुर्भाग्य बन गया।


बता दें, इससे पहले छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने चंद्रयान 2 मिशन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वह अब तक दूसरे के कामों की वाहवाही लूटते थे, लेकिन पहली बार चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण करने गए और वह भी असफल हो गया। इस टिप्पणी के बाद मंत्री सोशल मीडिया पर घिर गए और उन्हें इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा था। 

बता दें कि सात सितंबर को चंद्रमा की सतह को छूने से चंद मिनट पहले लैंडर 'विक्रम' का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद पूरे देश में मायूसी छा गई थी। इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरू स्थित भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुख्यालय में ही मौजूद थे और वह पूरी प्रक्रिया देख रहे थे।

चंद्रयान-2 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था और उसका वजन 3,840 किलोग्राम था। चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा 'ट्रांस लूनर इन्सर्शन' नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिए जाने के बाद शुरू की थी। इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन शनिवार तड़के विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था।

लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया। 'विक्रम' लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई थी, लेकिन जब यह चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था तो तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटा। कहा गया कि लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद 95 फीसदी मिशन ठीक रहा।

Web Title: Chandrayaan-2: Once Narendra Modi stepped in ISRO Centre, I think it became bad luck for scientists says HD Kumaraswamy

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे