भारत आज रचने जा रहा है इतिहास, इस वीडियो में देखिए कैसे वैज्ञानिकों ने तैयार किया चंद्रयान-2 

By रामदीप मिश्रा | Published: July 14, 2019 06:30 PM2019-07-14T18:30:20+5:302019-07-14T18:33:44+5:30

'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे चांद के बारे में समझ सुधारने में मदद मिलेगी जिससे ऐसी नयी खोज होंगी जिनका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा।

Chandrayaan-2 mission: Behind thes cenes footage of Chandrayaan various components coming together | भारत आज रचने जा रहा है इतिहास, इस वीडियो में देखिए कैसे वैज्ञानिकों ने तैयार किया चंद्रयान-2 

भारत आज रचने जा रहा है इतिहास, इस वीडियो में देखिए कैसे वैज्ञानिकों ने तैयार किया चंद्रयान-2 

Highlightsभारत आज रात एक नया इतिहास रचने जा रहा है और दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाने के लिए दूसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण करने जा रहा है। भाइस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से एक वीडियो जारी किया है, जिसमें 'चंद्रयान-2' को बनाने की प्रक्रिया को दर्शाया गया है।'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है।

भारत आज रात एक नया इतिहास रचने जा रहा है और दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाने के लिए दूसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण करने जा रहा है। भारत के मिशन पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से एक वीडियो जारी किया है, जिसमें 'चंद्रयान-2' को बनाने की प्रक्रिया को दर्शाया गया है।

इसरो की ओर से जारी किए गए 2 मिनट 18 सेकेंड के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि देश के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत कर एक नया इतिहास रखने की राह बनाई है। इस चंद्रयान को सोमवार को तड़के 2.51 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसे बाहुबली नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके तृतीय यान से भेजा जाएगा। 

'चंद्रयान-2' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे चांद के बारे में समझ सुधारने में मदद मिलेगी जिससे ऐसी नयी खोज होंगी जिनका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा। तीन चरणों का 3,850 किलोग्राम वजनी यह अंतरिक्ष यान ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर के साथ यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सुबह दो बजकर 51 मिनट पर आकाश की ओर उड़ान भरेगा। 



पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद इसरो भू-समकालिक प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके तृतीय से 978 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण करेगा। इसे चांद तक पहुंचने में 54 दिन लगेंगे। 

इसरो के अधिकारियों ने बताया कि गत सप्ताह अभ्यास के बाद रविवार को इस मिशन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसरो ने रविवार को कहा कि जीएसएलवी-एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती भारतीय समयानुसार छह बजकर 51 मिनट पर आज (रविवार) शुरू की गई।

इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले 'चंद्रयान-2' के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। तिरुमला में शनिवार को भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने बताया कि 'चंद्रयान-2' के 15 जुलाई को तड़के दो बजकर 51 मिनट पर प्रक्षेपण के कार्यक्रम के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। 

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 प्रौद्योगिकी में अगली छलांग है क्योंकि हम चांद के दक्षिणी ध्रुव के समीप सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश कर रहे हैं। सॉफ्ट लैंडिंग अत्यधिक जटिल होती है और हम तकरीबन 15 मिनट के खतरे का सामना करेंगे। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं। आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर 'विक्रम' और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं। पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
 

Web Title: Chandrayaan-2 mission: Behind thes cenes footage of Chandrayaan various components coming together

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