सेंट्रल विस्टा : न्यायालय ने भूखंड के भूमि उपयोग में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

By भाषा | Published: November 23, 2021 02:14 PM2021-11-23T14:14:05+5:302021-11-23T14:14:05+5:30

Central Vista: Court dismisses petition challenging change in land use of plot | सेंट्रल विस्टा : न्यायालय ने भूखंड के भूमि उपयोग में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

सेंट्रल विस्टा : न्यायालय ने भूखंड के भूमि उपयोग में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

नयी दिल्ली, 23 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने उस भूखंड के भूमि उपयोग में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी जहां लुटियंस दिल्ली में महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना के हिस्से के रूप में उपराष्ट्रपति का नया आधिकारिक आवास बनेगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हर बात की आलोचना हो सकती है लेकिन यह “रचनात्मक आलोचना” होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत मामला है तथा संबंधित अधिकारियों द्वारा पर्याप्त स्पष्टीकरण दिये गये हैं जो भूखंड के भूमि उपयोग में परिवर्तन को सही ठहराते हैं।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, “हमें इस मामले पर और गौर करने का कोई कारण नहीं मिला और इसलिए इस याचिका को खारिज करके पूरे विवाद को खत्म कर रहे हैं।”

शीर्ष अदालत ने भूखंड संख्या एक के भूमि उपयोग को मनोरंजन क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि भूखंड के भूमि उपयोग में परिवर्तन जनहित में नहीं है और वह केवल हरित एवं खुले क्षेत्र को संरक्षित करना चाहते हैं। इस पर पीठ ने मौखिक रूप से पूछा, “ऐसा है तो क्या आम नागरिकों से सिफारिश ली जाएगी कि उपराष्ट्रपति का निवास स्थान कहां होना चाहिए?”

पीठ ने कहा, “हर बात की आलोचना हो सकती है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए।’’ साथ ही कहा, “उपराष्ट्रपति का आवास कैसे कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है।” पीठ ने कहा कि नीति निर्माताओं ने इन पहलुओं पर विचार किया है।

सितंबर 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनरुद्धार परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले एक नए त्रिकोणीय संसद भवन की परिकल्पना की गई है, जिसका निर्माण अगस्त, 2022 तक किया जाना है, जब देश अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा।

राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर की दूरी तक फैली परियोजना के तहत 2024 तक एक सार्वजनिक केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा था कि उन्हें उपराष्ट्रपति के निवास स्थान पर आपत्ति नहीं हैं लेकिन भूमि उपयोग में बदलाव जनहित में नहीं है क्योंकि ये खुले और हरित क्षेत्र हैं।

इस पर पीठ ने कहा, “यह कोई निजी संपत्ति नहीं है जो वहां बनाई जा रही है। हलफनामे के अनुसार यह उपराष्ट्रपति के आवास के लिए है। उपराष्ट्रपति के आवास में चारों ओर हरा-भरा क्षेत्र होना ही चाहिए।”

पीठ ने कहा कि अधिकारियों द्वारा दाखिल हलफनामा बताता है कि परिवर्तन की आवश्यकता क्यों पड़ी और यह भी कि हरियाली बढ़ाने के लिए कुछ अन्य क्षेत्रों को जोड़ा गया है। साथ ही कहा कि यह भी एक तथ्य है कि उसे कभी भी मनोरंजन की भूमि के तौर पर उपयोग ही नहीं किया गया है।

सुनवाई के अंत में, सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने मामले में मुकदमेबाजी के पहले दौर में इन पहलुओं पर विचार किया था। उन्होंने कहा,"हर चीज का अंत होना चाहिए।

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Web Title: Central Vista: Court dismisses petition challenging change in land use of plot

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