जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी मामला : न्यायालय ने नाराजगी जताई
By भाषा | Published: March 2, 2021 08:01 PM2021-03-02T20:01:06+5:302021-03-02T20:01:06+5:30
नयी दिल्ली, दो मार्च उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई, ईडी और एनआईए सहित विभिन्न जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने से जुड़े मुद्दे पर अधिक समय मांग कर ‘‘अपने कदम पीछे करने के लिए’’ मंगलवार को केंद्र से नाराजगी जतायी।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नागरिकों के अधिकारों से संबंधित है और वह मामले में स्थगन के अनुरोध के लिए केंद्र द्वारा दायर पत्र में दिए गए बहाने को स्वीकार नहीं कर रही है। पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय भी शामिल थे।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘हमें इस बात का स्पष्ट आभास हो रहा है कि आप अपने पैर पीछे खींच रहे हैं।"
सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल दो दिसंबर को केंद्र को विभिन्न जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था जो पूछताछ करती हैं और जिन्हें गिरफ्तारी का अधिकार है। इन एजेंसियों में केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, राजस्व खुफिया विभाग आदि शामिल हैं।
मेहता ने मंगलवार को वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए हुयी सुनवाई के दौरान पीठ से कहा कि स्थगन का अनुरोध किया गया है क्योंकि इसके कई असर हो सकते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘"यह नागरिकों के अधिकारों से संबंधित है और हम बहाने को नहीं स्वीकार कर रहे हैं।’’
पीठ ने मेहता से इन जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी लगाने के लिए राशि के आवंटन के बारे में सवाल किया। इस पर मेहता ने मामले में हलफनामा दायर करने के लिए पीठ से कुछ समय दिए जाने का अनुरोध किया।
पीठ ने केंद्र को इस संबंध में हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया। इस मुद्दे में धन का आवंटन का पहलू और सीसीटीवी कैमरे लगाने की समयसीमा शामिल है।
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