रोटोमैक घोटाले में सीबीआई का शिकंजा, मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 22, 2018 09:27 PM2018-02-22T21:27:17+5:302018-02-22T21:30:13+5:30

इससे पहले कोठारी और उनके परिवार के भारत छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। बता दें कि कोठारी से पिछले चार दिनों से पूछताछ चल रही थी।

CBI arrested Rotomac Pens owner Vikram Kothari and his son Rahul Kothari | रोटोमैक घोटाले में सीबीआई का शिकंजा, मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार

रोटोमैक घोटाले में सीबीआई का शिकंजा, मालिक विक्रम कोठारी और बेटा राहुल गिरफ्तार

रोटोमैक लोन घोटाले में सीबीआई ने विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को गिरफ्तार किया है। इनसे पिछले चार दिनों से दिल्ली में पूछताछ जारी थी। कोठारी पर 3,695 करोड़ रुपये के कर्ज का गबन करने का आरोप है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी, पत्नी साधना, बेटे राहुल और अन्य निदेशकों ने बैंक से लोन लिया और उसे दूसरे मद में खर्च किया। बाद में बैंक ने इस राशि को एनपीए में डाल दिया। इससे पहले कोठारी और उनके परिवार के भारत छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। बता दें कि कोठारी से पिछले चार दिनों से पूछताछ चल रही थी।

रोटोमैक के कर्जदाता बैंकों में प्रमुख बैंक ऑफ बड़ोदा ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। 18 फरवरी को दर्ज इस शिकायत में कहा गया कि कोठारी ने बैंक को धोखा दिया है। बैंक ने एजेंसियों से अनुरोध किया कि कोठारी और उसके परिवार का पासपोर्ट रद्द कर दिया जाए और भारत छोड़ने पर रोक लगा दी जाए।

3,695 करोड़ रुपये का घपला सामने आने के बाद रोटोमैक पेन्स में काम-काज ठप्प पड़ गया है। कानपुर इकाई से 450 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है जिसमें 250 महिलाएं शामिल हैं।

कैसे हुआ रोटोमैक घोटाला, इन पांच बिंदुओं में समझिएः-

1) विक्रम कोठारी ने 3,695 करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 2008 से 2013 के बीच पब्लिक सेक्टर के बैंकों की मदद ली। इस दौरान कोठारी ने अपने विदेशी खरीदारों और सप्लायर्स को पेमेंट करने के लिए फॉरन लेटर्स ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) का भी रास्ता अपनाया।

2) रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड ने 2008 से 2013 के बीच 'मध्यस्थ व्यापार' करने के लिए 15 करोड़ रुपये से 200 करोड़ रुपये की नियमित क्रेडिट रैंकिंग के लिए सात बैंकों का सहारा लिया।

3) विक्रम कोठारी ने नियमित क्रेडिट रैंकिंग के लिए जिन सात बैंकों को चुना उनमें- इंडियन ओवरसीज़ बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल है।

4) नियमित क्रेडिट रैंकिंग करने के लिए इन सात बैंको नें रोटोमैक को कुल 2 हजार 919 करोड़ रुपयों का कर्ज दिया। इस घोटाले में सबसे ज्यादा जिस बैंक को चपत लगी है उसमें 7 सौ 71 करोड़ रुपये का लोन देने वाला इंडियन ओवरसीज बैंक पहले पायदान पर है। वहीं बैंक ऑफ इंडिया का 7 सौ 54 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 459 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ोदा का 457 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक का 330 करोड़, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का 97 करोड़ और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 50 करोड़ रुपये का कर्ज रोटोमैक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से विक्रम कोठारी ने लिया।

5) इन सात बैंको के कर्ज की कुल रकम 2 हजार 919 करोड़ रुपये है। पेनाल्टी के साथ इसके ब्याज की रकम 776 करोड़ रुपये है। यानी करीब 3 हजार 695 करोड़ रुपये का कर्ज विक्रम कोठारी पर बाकी है। मामले की जांच सीबीआई, आयकर विभाग और ईडी की टीम कर रही है। नीरव मोदी और विजय माल्या की तरह विक्रम कोठारी देश से फरार न हो पाए इसलिए सीबीआई ने पहले ही उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया है।

Web Title: CBI arrested Rotomac Pens owner Vikram Kothari and his son Rahul Kothari

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