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कोरोना काल में बिहार में बढ़ा मानव तस्करी का मामला, बच्चे और बच्चियों पर है मानव तस्करों की नजर

By एस पी सिन्हा | Updated: June 20, 2021 16:59 IST

राज्य के कई जिले अभी ऐसे हैं, जहां काफी संख्या में बच्चों को बाल श्रम के लिए अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है।

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ठळक मुद्देराज्यों की पुलिस की मदद से ऐसे बच्चों की बरामदगी की कोशिशें हो रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर व लॉकडाउन के कारण मानव तस्करी का मामला बढ़ गया है।राज्य के कई जिले अभी ऐसे हैं, जहां काफी संख्या में बच्चों को बाल श्रम के लिए अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है।

कोरोना के कहर से मचे त्राहिमाम के बाद इस वर्ष और पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन के चलते आई बेरोजगारी के बाद बिहार में मानव तस्करी के मामले काफी बढ़ गये हैं। राज्य कई जिलों से बसों में भर कर बच्चों को राजस्थान, दिल्ली के आसपास के क्षेत्र, महाराष्ट्र आदि अन्य राज्यों में भेजने का मामला सामने आया है। दरअसल, कम खर्च में सस्ते मजदूर की चाहत में बाल श्रम को लेकर बच्चों की तस्करी का मामला दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। 

प्राप्त आंकडों के अनुसार वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2020 के दिसंबर तक 428 नाबालिग लड़कियों को विभिन्न जिलों से मुक्त करा कर लाया गया है। जबकि इतने वर्षों में मुक्त कराये जाने वाले नाबालिग लडकों की संख्या 2342 है, जो लड़कियों की तुलना में लगभग पांच गुना अधिक है। सूत्रों के अनुसार जनवरी से अब तक विभिन्न राज्यों से बिहार के बच्चों की बरामदगी की जा रही है। 

इसमें सबसे अधिक गया के 33, सीतामढी के 15, समस्तीपुर के आठ, नालंदा के 11, वैशाली के एक, नवादा के एक, दरभंगा के तीन, सहरसा के एक, मुजफ्फरपुर के तीन, मधुबनी के तीन और जहानाबाद के नौ बच्चों के अलावा 16 और बच्चे विभिन्न जिलों के हैं। जिनको मुक्त करा कर गया है। मगर, कोरोना की दूसरी लहर व लॉकडाउन के कारण अभी तक उनकी वापसी बिहार नहीं हो सकी है। 

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष जनवरी से लेकर अब 106 बच्चों को मुक्त कराया गया है, जिनमें अधिकांश राजस्थान के जयपुर ले जाये गये थे। जिन्हें अब भी बिहार में अपने घर आने का इंतजार है। रिपोर्ट के अनुसार गया, समस्तीपुर, नालंदा, सीतामढी आदि जिलों से अपेक्षाकृत अधिक बच्चे बाहर जा रहे हैं। बीते तीन वर्षों में केवल जयपुर व आसपास के क्षेत्रों से ही गया जिले के 229 बच्चों को मुक्त करा कर घर वापस लाया गया है। 

इसके बाद समस्तीपुर जिले के 158, अररिया जिले के तीन, अरवल जिले के दो, औरंगाबाद जिले के दो, बेगूसराय जिले के 35, दरभंगा जिले के 53, पूर्वी चंपारण जिले के चार, गोपालगंज जिले के पांच, जहानाबाद जिले के 40, कैमूर जिले के सात, किशनगंज जिले के तीन, कटिहार जिले के 51, मधुबनी जिले के 36, मुजफ्फरपुर जिले के 96, नालंदा जिले के 40, नवादा जिले के 45, पटना जिले के 36, पूर्णिया जिले के नौ, रोहतास व सहरसा जिले के चार-चार, सीतामढी जिले के 11 और वैशाली जिले के 48 बच्चों को मुक्त करा कर वापस लाया गया है। 

प्राप्त आंकडों के अनुसार वर्ष 2015 में 34 लड़कियो और 193 लड़कों को मुक्त करा कर लाया गया था। उसी तरह वर्ष 2016 में 15 लड़कियां और 183 लडके, 2017 में 35 लड़कियां और 379 लड़के, 2018 में 10 लड़कियां और 529 लड़के, 2019 में 33 लड़कियां और 261 लडके और 2020 में 35 लड़कियां और 77 लड़कों को विभिन्न राज्यों से मुक्त करा कर लाया गया था।

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