सीएचआरआई के पंजीकरण निलंबन से संबंधित मूल रिकॉर्ड नहीं दिखा सकता, केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया

By भाषा | Updated: December 6, 2021 20:06 IST2021-12-06T20:06:35+5:302021-12-06T20:06:35+5:30

Cannot show original records relating to suspension of registration of CHRI, Center tells HC | सीएचआरआई के पंजीकरण निलंबन से संबंधित मूल रिकॉर्ड नहीं दिखा सकता, केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया

सीएचआरआई के पंजीकरण निलंबन से संबंधित मूल रिकॉर्ड नहीं दिखा सकता, केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया

नयी दिल्ली, छह दिसंबर केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि वह कॉमनवेल्थ ह्यूमैन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के पंजीकरण के निलंबन से संबंधित रिकॉर्ड पेश नहीं कर सकता क्योंकि वह गोपनीयता के उपबंध का इस्तेमाल करना चाहता है।

केंद्र के वकील ने कहा कि वह इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर एक अर्जी दाखिल करेगा।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि जब भी इस बाबत अर्जी दाखिल की जाएगी, तब इसके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा। न्यायमूर्ति पल्ली ने आगे कहा कि अदालत यह भी जांच करेगी कि क्या केंद्र सीएचआरआई को नोटिस जारी किए बिना गोपनीयता बनाये रखने का दावा कर सकता है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और वकील अनिल सोनी ने दलील दी कि संगठन के खिलाफ जांच शुरू की गई थी और मूल रिकॉर्ड पेश नहीं किया जा रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार इस मामले में गोपनीयता रखना चाहती है।

न्यायालय ने पाया कि केंद्र सरकार का मौजूदा रुख अदालत के 25 अक्टूबर के उन निर्देशों के विपरीत है, जब उसने सरकार को मामले का मूल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने निलंबन आदेश के खिलाफ सीएचआरआई की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया था। सीएचआरआई ने पंजीकरण का निलंबन वापस लिये जाने तक विदेशी धन के रूप में प्राप्त राशि के 25 प्रतिशत के इस्तेमाल की अनुमति देने का अनुरोध किया था और न्यायालय ने इस पर भी केंद्र से जवाब मांगा था।

सीएचआरआई ने दलील दी है कि पंजीकरण निलंबन आदेश ने इसके कामकाज को पूरी तरह से पंगु बना दिया है, इसके कर्मचारियों की आजीविका को खतरा है और इसकी प्रतिष्ठा पर धब्बा लग रहा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि निलंबन आदेश संगठन के खिलाफ कोई भी जांच शुरू किए बिना पारित किया गया था। इतना ही नहीं आदेश पारित करते समय भी याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच शुरू करने पर विचार करने के लिए कोई ‘कारण बताओ नोटिस’ नहीं दिया गया था।

याचिका में कहा गया है कि सीएचआरआई अब अपने 40 स्टाफ सदस्यों और सलाहकारों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है, जिनकी आजीविका पूरी तरह इसी पर आधारित है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से उपजी स्थिति में।

याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सीएचआरआई की वर्तमान कार्यकारी समिति में कानूनी दिग्गज, पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी, पर्यावरण विशेषज्ञ शामिल हैं और देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला इसके अध्यक्ष हैं।

समिति के अन्य सदस्यों में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए. पी. शाह शामिल हैं।

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