NRC के साथ मिलकर CAA भारत के मुसलमानों के दर्जे को कर सकता है प्रभावित: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: December 27, 2019 11:20 IST2019-12-27T11:20:32+5:302019-12-27T11:20:32+5:30

सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शोध इकाई है जो घरेलू और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि सांसद उनसे जुड़े फैसले ले सकें।

CAA in association with NRC may affect the status of India's Muslims: Report | NRC के साथ मिलकर CAA भारत के मुसलमानों के दर्जे को कर सकता है प्रभावित: रिपोर्ट

NRC के साथ मिलकर CAA भारत के मुसलमानों के दर्जे को कर सकता है प्रभावित: रिपोर्ट

Highlightsसंशोधित नागरिकता कानून पर सीआरएस की यह पहली रिपोर्ट है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश की नागरिकता संबंधी प्रक्रिया में धार्मिक पैमाने को जोड़ा गया है।

कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के साथ लाने से भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दर्जा प्रभावित हो सकता है। यह रिपोर्ट 18 दिसंबर को आई। इसमें कहा गया कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश की नागरिकता संबंधी प्रक्रिया में धार्मिक पैमाने को जोड़ा गया है। सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शोध इकाई है जो घरेलू और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि सांसद उनसे जुड़े फैसले ले सकें। लेकिन इन्हें अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता है।

संशोधित नागरिकता कानून पर सीएसआर की यह पहली रिपोर्ट है। इसमें कहा गया, ‘‘संघीय सरकार की एनआरसी की योजना को सीएए के साथ लाने से भारत के लगभग 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दर्जा प्रभावित हो सकता है।’’ संशोधित नागरिकता कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से बच कर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।

सीआरएस ने दो पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत का नागरिकता कानून 1955 अवैध प्रवासियों के नागरिक बनने को प्रतिबंधित करता है। तब से इस कानून में कई संशोधन किए गए लेकिन उनमें से किसी में भी धार्मिक पहलू नहीं था।’’

सीआरएस का दावा है कि संशोधन के मुख्य प्रावधान जैसे कि तीन देशों के मुस्लिमों को छोड़कर छह धर्मों के प्रवासियों को नागरिकता की अनुमति देना भारत के संविधान के कुछ अनुच्छेद खासकर अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन कर सकता है।

इसमें कहा गया, ‘‘कानून के समर्थकों का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में मुस्लिमों को उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता और सीएए संवैधानिक है क्योंकि यह भारतीय नागरिकों नहीं प्रवासियों से संबंधित है। हालांकि यह साफ नहीं है कि अन्य पड़ोसी देशों के प्रवासियों को इससे बाहर क्यों रखा गया है। इसके अलावा पाकिस्तान के अहमदिया और शिया जैसे मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को सीएए के तहत कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है।’’

Web Title: CAA in association with NRC may affect the status of India's Muslims: Report

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