फसलों के "लाभकारी मूल्य" की मांग को लेकर बीकेएस ने दी आंदोलन की चेतावनी

By भाषा | Published: August 27, 2021 04:54 PM2021-08-27T16:54:00+5:302021-08-27T16:54:00+5:30

BKS warns of agitation demanding "remunerative price" of crops | फसलों के "लाभकारी मूल्य" की मांग को लेकर बीकेएस ने दी आंदोलन की चेतावनी

फसलों के "लाभकारी मूल्य" की मांग को लेकर बीकेएस ने दी आंदोलन की चेतावनी

केंद्र सरकार द्वारा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की व्यवस्था को "छलावा" करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने नया मोर्चा खोल दिया है। बीकेएस के एक शीर्ष अधिकारी ने सरकार को चार दिन की मोहलत के साथ चेतावनी दी है कि अगर उसने खेती की लागत के आधार पर किसानों को फसलों के "लाभकारी मूल्य" दिलाने के लिए कठोर कानून बनाने की हामी 31 अगस्त तक नहीं भरी, तो आठ सितंबर को देश भर में एक दिवसीय धरने के साथ आंदोलन की घोषणा जाएगी। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुये कहा, "सरकार महज कुछ फसलों के एमएसपी घोषित कर किसानों के प्रति अपने दायित्व से बच नहीं सकती है। सब जान चुके हैं कि एमएसपी प्रणाली मात्र छलावा है। सरकार द्वारा एमएसपी की कोरी घोषणा का भला क्या अर्थ रह जाता है, जब इन दामों पर किसानों की फसलें बाजार में बिक नहीं पातीं।" चौधरी ने मांग की कि सरकार अलग-अलग राज्यों में खेती की लागत का वास्तविक मूल्यांकन करे तथा इसके आधार पर किसानों के लिए फसलों के "लाभकारी मूल्य" घोषित करे और कठोर कानून बनाकर प्रावधान किया जाए कि अगर कोई व्यक्ति इन मूल्यों से नीचे कृषि उत्पाद खरीदता है तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा। महामंत्री ने यह मांग भी की कि तीन नये कृषि कानूनों को कुछ बदलावों के साथ लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन बदलावों में किसानों को फसलों के खरीदार द्वारा तुरंत भुगतान का प्रावधान और कृषि संबंधी विवादों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना शामिल है। नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले नौ महीने से संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जारी आंदोलन पर चौधरी ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसक घटनाओं के बाद बीकेएस ने इस आंदोलन से "नैतिक समर्थन" वापस ले लिया था। उन्होंने कहा कि एक वक्त था, जब देश भर के किसानों को संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन से बहुत अपेक्षाएं थीं, लेकिन इस आंदोलन की वर्तमान स्थिति देखकर किसानों को निराशा हाथ लग रही है। यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तरप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन को कमजोर करने के लिए बीकेएस ने अलग मोर्चा खोला है, चौधरी ने जवाब दिया,"चुनावी सियासत से बीकेएस का कभी कोई संबंध नहीं रहा है।

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Web Title: BKS warns of agitation demanding "remunerative price" of crops

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