BJP के नए अध्यक्ष के लिए मंथन जारी, पार्टी मुखिया के साथ रिक्त पदों पर भी होंगी नियुक्तियां
By नितिन अग्रवाल | Published: June 3, 2019 07:31 AM2019-06-03T07:31:08+5:302019-06-03T07:31:08+5:30
नड्डा संसदीय बोर्ड के सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव हैं. इसके अलावा वह उत्तररप्रदेश के चुनाव प्रभारी हैं. नड्डा के काम के चलते लोकसभा चुनाव में भाजपा के यूपी से सबसे अधिक सासंद जीते फिर भी उन्हें मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.
अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए मंथन तेज हो गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम के साथ ही राज्यों के संगठन के खाली पदों को भरने और पार्टी के संविधान के अनुसार चुनाव कराने को लेकर भी चर्चा चल पड़ी है. कहा जा रहा है कि अध्यक्ष पद का निर्णय लेने से पहले राज्यों में संगठन के स्तर पर चुनाव कराए जाएं.
सूत्रों के अनुसार अमित शाह और भाजपा महासचिवों की बैठक में इसे लेकर चर्चा की गई. कहा गया कि कम से कम पचास प्रतिशत राज्यों में चुनाव कराने के बाद अध्यक्ष पद का निर्णय लिया जा सकता है. इससे पहले सितंबर 2018 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव को देखते हुए अध्यक्ष के मौजूदा कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ाया गया था.
अब शाह के गृहमंत्री बनने के बाद नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है. नड्डा का नाम रेस में आगे माना जा रहा है कि जेपी नड्डा और भूपेंद्र यादव में से किसी एक को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि नड्डा का नाम इस रेस में आगे है. ऐसा उनकी वरिष्ठता और कामकाज के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा रहा है.
नड्डा संसदीय बोर्ड के सदस्य और केंद्रीय चुनाव समिति के सचिव हैं. इसके अलावा वह उत्तररप्रदेश के चुनाव प्रभारी हैं. नड्डा के काम के चलते लोकसभा चुनाव में भाजपा के यूपी से सबसे अधिक सासंद जीते फिर भी उन्हें मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. लिहाजा माना जा रहा है कि उन्हे इससे भी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.
2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह ने यह जिम्मेदारी निभाई थी. उस समय राज्य में पार्टी के 71 सांसद जीते थे. जिसके बाद शाह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था. विजयवर्गीय को तरजीह मिल सकती है नड्डा और भूपेंद्र यादव के अतिरिक्त भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं लोकसभा चुनाव में बंगाल के प्रभारी रहे कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी लिया जाने लगा है.
बंगाल में पार्टी को मिली जोरदार कामयाबी और वहां विस्तार की संभावना को देखते हुए माना जा रहा है कि विजयवर्गीय को तरजीह दी जा सकती है. हालांकि आधिकारिक रूप से पार्टी की ओर से अध्यक्ष पद के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन नई कमान के तय होने तक अटकलों का बाजार यूं ही गर्म रहेगा.