भाजपा जुटी चिराग पासवान पर सियासी लगाम लगाने को, रालोजपा प्रमुख पशुपति कुमार पारस को दे सकती है बड़ी जिम्मेदारी
By एस पी सिन्हा | Published: September 8, 2024 05:36 PM2024-09-08T17:36:38+5:302024-09-08T17:36:38+5:30
सूत्रों की मानें तो सियासत में हाशिए पर पड़े पशुपति कुमार पारस को जल्द ही किसी राज्य का राज्यपाल या फिर किसी महत्वपूर्ण केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
पटना: लोकसभा चुनाव के बाद लोजपा(रा) प्रमुख चिराग पासवान के द्वारा लिए जा रहे सियासी पैंतरे को नियंत्रित करने के जुगाड़ में भाजपा जुट गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान अलग-थलग पड़ गए चिराग के चाचा और रालोजपा प्रमुख पशुपति कुमार पारस को अब भाजपा के द्वारा ज्यादा तवज्जो दिए जाने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों की मानें तो सियासत में हाशिए पर पड़े पशुपति कुमार पारस को जल्द ही किसी राज्य का राज्यपाल या फिर किसी महत्वपूर्ण केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
ऐसे में सियासत के जानकारों का मानना है कि भाजपा अगर पशुपति कुमार पारस को अहम जिम्मेदारी देती है, तो इससे उनका कद बढ़ेगा और वह सियासी प्लेटफॉर्म पर फिर से चिराग पासवान के बराबर खड़े हो जाएंगे। इससे भाजपा को चिराग पासवान को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने चिराग पासवान को अहमियत दी, जबकि पशुपति कुमार पारस को एक भी सीट नहीं दिया गया था। जिसके चलते पारस पूरे लोकसभा चुनाव तक अलग-थलग पड़े रहे। वहीं, लोकसभा चुनाव में मिली जबरदस्त जीत के बाद चिराग पासवान को केन्द्र में मंत्री बना दिया गया।
वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलते ही चिराग पासवान ने रंग बदलना शुरू कर दिया है। उन्होंने जातीय गणना सहित कई मुद्दों पर केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा को जोर का झटका लगा है। उधर राजद ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि भाजपा अब चिराग पासवान की पार्टी तोड़ेगी और लोजपा-रामविलास के 5 में से 3 सांसद भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
इन सभी सियासी घटनाक्रमों के बीच भाजपा ने अब पशुपति कुमार पारस की पूछ बढा दी है। संभव है कि केन्द्र सरकार के द्वारा जल्द ही उनके लिए कोई सम्मानजनक जगह दे दी जाए। इससे बिहार की सियासत में चिराग पासवान को बैलेंस करने में भाजपा को सहूलियत होगी।
बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा में टूट हुई और 5 सांसद लेकर पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए थे। वहीं चिराग एकदम से साइडलाइन कर दिए गए थे। इसके बाद भी वह खुद को 'मोदी का हनुमान' बताते रहे। लेकिन अब यही हनुमान राम के लिए संकट बनते जा रहे हैं।