सत्तारूढ़ दल जदयू में नहीं है सबकुछ ’ऑल इज वेल’, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने सीएम नीतीश कुमार से नहीं की मुलाकात, जानें
By एस पी सिन्हा | Published: December 6, 2022 03:13 PM2022-12-06T15:13:43+5:302022-12-06T15:14:57+5:30
बिहार दौरे पर आये राज्यसभा के उपसभापति और जदयू सांसद हरिवंश नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करना भी मुनासिब नहीं समझा।
पटनाः बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा अपने दल जदयू में सबकुछ ’ऑल इज वेल’ होने का दावा किया जाता है, लेकिन अंदरूनी हालात इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि दल के अंदर सबकुछ ’ऑल इज वेल’ नहीं है।
इसका अभी जीता जागता प्रमाण यह सामने आया है कि अभी दो दिन पहले ही बिहार दौरे पर आये राज्यसभा के उपसभापति और जदयू सांसद हरिवंश नारायण सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करना भी मुनासिब नहीं समझा। उल्लेखनीय है कि हरिवंश नारायण सिंह पटना आये थे। उनके पुस्तक का विमोचन पटना पुस्तक मेला में होना था।
इस दौरान उन्होंने कई लोगों से मुलाकात भी की। यही नहीं पुस्तक विमोचन के दौरान कई लोगों का जमावड़ा भी देखा गया, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा कहीं दूर-दूर तक सुनाई नहीं दे रही थी। जबकि इसके पहले हरिवंश जी के हर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी निश्चित तौर पर हुआ करती थी।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ जाने से हरिवंश नारायण सिंह काफी दुखी हैं। इसका इजहार भी उन्होंने कई मौकों पर कर चुके हैं। उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ जाने के निर्णय के बारे में न तो कभी उन्हें बताया और न ही कभी इसकी चर्चा उनसे की।
ऐसे में वह व्यक्तिगत तौर पर नीतीश कुमार के इस निर्णय से खुश नही हैं। शायद यही कारण है कि नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़ दिये जाने के बावजूद हरिवंश जी ने राज्यसभा में उपसभापति के पद से इस्तीफा नहीं दिया। जिसके चलते नीतीश कुमार उनसे नाराज बताये जा रहे हैं। इसतरह हरिवंश जी और नीतीश कुमार के बीच दूरियां देखी जाने लगी हैं।
जानकारों की माने तो हरिवंश जी का वैसा व्यक्तित्व है कि उन्होंने खुलकर नीतीश कुमार से विरोध जता दिया, लेकिन दल में और वैसे नेता नहीं हैं जो खुलकर नीतीश कुमार के मनमाना रवैया का विरोध कर सकें। लेकिन दबे जुबान जदयू के कई नेता नीतीश कुमार ने निर्णय नाराजगी जता रहे हैं। लेकिन उनमें उस साहस नहीं बन पा रहा है कि वे खुलकर सामने आ सकें।