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बिहार के 40000 से ज्यादा ट्रांसजेंडरों की तरफ हाईकोर्ट में याचिका, सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग, सरकार से मांगा जवाब

By एस पी सिन्हा | Updated: March 9, 2021 20:31 IST

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के 40 हजार से ज्यादा ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के मामले में राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया है।

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ठळक मुद्देकोर्ट का कहना है कि मुठ्ठी भर ट्रांसजेंडरों को जब राज्य सरकार सिपाही बहाली में आरक्षण दे रही है।मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार के खंडपीठ ने वीरा यादव की और से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडरों को पिछडा वर्ग का लाभ दे रही है।

पटनाः बिहार पुलिस में सरकार द्वारा ट्रांसजेंडरों को आरक्षण दे दिया गया है, लेकिन सरकारी नौकरी में क्यों नहीं? पुलिस में बहाली की व्यवस्था के बाद किन्नरों ने फिर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकारी नौकरी में आरक्षण की मांग की है।

इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने बिहार के 40 हजार से ज्यादा ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के मामले में राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर उचित निर्णय लेने का आदेश दिया है। बताया जाता है कि कोर्ट का कहना है कि मुठ्ठी भर ट्रांसजेंडरों को जब राज्य सरकार सिपाही बहाली में आरक्षण दे रही है तो अन्य विभागों के नौकरियों में क्यों नहीं दे सकती?

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार के खंडपीठ ने वीरा यादव की और से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडरों को पिछडा वर्ग का लाभ दे रही है। अब उन्हें अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है।

वहीं, आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के निर्देश पर ट्रांसजेंडरों को पुलिस की नौकरियों में आरक्षण का लाभ दिया गया है, लेकिन राज्य के अन्य विभागों की नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने के लिए सामान्य प्रशाशन विभाग की ओर से किसी प्रकार का अधिसूचना जारी नहीं की गई है।

उनका कहना था कि जब तक सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी नहीं की जाती तब तक राज्य के ट्रांसजेंडरों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बारे में निर्णय लेने का आदेश दिया है। इसके साथ ही  मामले पर सुनवाई चार सप्ताह के बाद होगी।

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