बिहार: नीतीश राज में कुर्मी जाति के लोगों को खूब मिली सरकारी नौकरी, जाति आधारित गणना के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से हुआ खुलासा
By एस पी सिन्हा | Published: November 7, 2023 03:56 PM2023-11-07T15:56:38+5:302023-11-07T16:02:18+5:30
बिहार विधानमंडल के सदन पटल पर रखे गए जाति आधारित गणना के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बिहार की सभी जातियों की आय से लेकर उनकी शैक्षणिक स्थिति व जाति वार सरकारी नौकरी करने वालों के आंकड़े भी जारी किए गए हैं।
पटना:बिहार विधानमंडल के सदन पटल पर रखे गए जाति आधारित गणना के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बिहार की सभी जातियों की आय से लेकर उनकी शैक्षणिक स्थिति व जाति वार सरकारी नौकरी करने वालों के आंकड़े भी जारी किए गए हैं।
इस रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी जाति के लोग सरकारी नौकरी में हैं। नीतीश राज में विपक्ष बार-बार यह सवाल उठाते रहा है कि बिहार में सरकारी नौकरी में नालंदा मॉडल हावी है। दरअसल नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है। इस जिले के कुर्मी जाति के लोगों को खूब नौकरी मिली है।
आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। जिसमें पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक आबादी वाले यादव जाति से 2 लाख 89 हजार 538 लोग सरकारी नौकरी में हैं, जो कि उनकी जाति की संख्या का 1.55 फीसदी है। माना जा रहा है कि सत्ता से कई सालों से दूर होने के कारण यादवों को सरकारी नौकरियों में कम जगह मिली। जबकि 18 साल से सत्ता में नीतीश कुमार के होने के कारण कुर्मी जाति की आबादी कम होने के बावजूद यहां सबसे अधिक नौकरी करने वाले मिले हैं।
रिपोर्ट में कुर्मी जाति से 1,17,171 लाख लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं, जो कि पिछड़ी जाति से नौकरी पानेवालों में 3.11 फीसदी है। यह पिछड़ी जाति में सबसे अधिक है और किसी जाति से 2.5 फीसदी लोग भी सरकारी नौकरी में नहीं हैं।
आंकड़ों के मुताबिक बिहार में आर्थिक रूप से कमजोर भूमिहार परिवार की कुल आबादी 8.36 लाख बताई गई है। भूमिहारों की कुल आबादी में 27.58 प्रतिशत भूमिहार आर्थिक रूप से कमजोर है। इसी प्रकार राजपूत परिवार की कुल आबादी में करीब 9.53 लाख कमजोर हैं यानी 24.89 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
सामान्य वर्ग में कायस्थ परिवारों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की आबादी 1.70 लाख बताई गई है यानी कायस्थों की कुल पारिवारिक आबादी में 13.89 प्रतिशत की माली हालत ठीक नहीं है। शेख परिवार की कुल आबादी करीब 11 लाख है, इसमें 2.68 लाख यानी 25.84 प्रतिशत परिवार आर्थिक रूप से कमजोर बताए गए हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट यह कह रही है कि बिहार में परिवारों की आवासीय स्थिति में पक्का मकान 2 या 2 से अधिक कमरा वाला परिवार 36.76 फीसदी है। इसके अलावा पक्का मकान एक कमरा वाले परिवार 22.37 फीसदी है। उसी तरह खपरैल या टीन छत वाले परिवार 26.54 फीसदी है। इसके साथ ही झोपड़ी में रहने वाले परिवार की संख्या 14.9 फीसदी परिवार है। वहीं आवासहीन परिवार 0.24 फीसदी है।
रिपोर्ट के अनुसार बिहार की 22.67 आबादी के 1 से 5वीं तक की शिक्षा ग्रहण कर पाई है। वहीं वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसदी आबादी के पास है। बिहार सरकार के रिपोर्ट के अनुसार वर्ग 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 फीसदी आबादी के पास है। वहीं वर्ग 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 फीसदी आबादी को नसीब हो पाया है। वहीं ग्रेजुएशन की शिक्षा बिहार की मात्र 7 फीसदी लोगों को नसीब हो पाया है।