जज ने किया बेटी को कैद, कोर्ट ने कहा- हम शर्मिंदा है, आप जैसे लोग हमारे अंदर काम कर रहे हैं
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 26, 2018 08:29 PM2018-06-26T20:29:58+5:302018-06-26T20:38:32+5:30
न्यायाधीश और उनकी पत्नी ने अपनी बेटी से मारपीट भी की और उसकी चीखों को फोन पर बंसल को सुनाया गया। प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेने के बाद मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि ''हम काफी शर्मिंदा हैं कि आप जैसे ज्यूडिशियल ऑफिसर हमारे अंदर काम कर रहे हैं।''
पटना, 26 जून (एसपी सिन्हा की रिपोर्ट)। अपनी बेटी को कथित रूप से कैद करने की खबर पर संज्ञान लेने के बाद पटना हाईकोर्ट के आदेश पर खगडिया के एक जिला एवं सत्र न्यायाधीश की बेटी को दोपहर बाद मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश किया गया। एक खबर पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की पीठ ने पुलिस से महिला और उसके माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करने और महिला को मंगलवार को दोपहर 2:15 मिनट पर मुख्य न्यायाधीश के सामने उनके कक्ष में पेश करने का अदेश दिया था।
अदालत ने मंगलवार को खगडिया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की बेटी से अपने चेंबर में बात की और उसे कडी सुरक्षा में पटना के चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में रखने का आदेश दिया। अदालत ने लडकी का नाम और उसके पिता का नाम नहीं छापने का निर्देश देते हुए चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय को भी निर्देश दिया है कि उसकी देखभाल की सारी जवाब देही उसकी होगी।
मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी तबतक वह लडकी वहीं रहेगी और वह जिससे भी मिलना चाहे उसी पूरी आजादी रहेगी। इस दौरान उस लडकी पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नही होगा। यहां बता दें कि अदालत ने एक समाचार पोर्टल ‘बार एंड बेंच' पर डाली गई एक खबर पर संज्ञान लेने के बाद सोमवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया था। खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि हम पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अधिकारियों की एक टीम गठित करने का निर्देश देते हैं।
इसमें कम-से-कम दो महिला अधिकारी शामिल हों जो संबंधित जिले (खगडिया) जाकर महिला को लेकर आएं और मंगलवार को दोपहर 2:15 मिनट पर हमारे चैंबर में उनके सामने पेश करने को कहा था। आदेश में कहा गया था कि न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट की वकील अनुकृति जयपुरियार को अदालत की मदद के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया।
समाचार पोर्टल ‘बार एंड बेंच' की खबर के अनुसार, पीडिता 24 साल की है और वह पटना के चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से विधि स्नातक है। खबर के अनुसार, उनके पिता और खगडिया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दिल्ली के एक वकील सिद्धार्थ बंसल से संबंधों के कारण महिला को खगडिया स्थित आवास पर कथित रूप से कैद कर लिया है।
खबर में दावा किया गया था कि न्यायाधीश और उनकी पत्नी ने अपनी बेटी से मारपीट भी की और उसकी चीखों को फोन पर बंसल को सुनाया गया। प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेने के बाद मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि ''हम काफी शर्मिंदा हैं कि आप जैसे ज्यूडिशियल ऑफिसर हमारे अंदर काम कर रहे हैं।''
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